लाल किताब : क़ुरबानी के बकरे

ग्रह ही रहें मगर उनमें से हर एक या किसी एक की जड़ पर आगे दुश्मन ग्रह हो जावे ख्वाह वह खुद दोस्त ही हैं | लफ्ज बिल्मुकाबिल (आमने-साह्मने या मुकाबले के ) से याद होंगे, क्योंकि अब उनमें किसी न किसी तारा से दुश्मनी भाव पैदा हो गया है |
दुश्मनों से मारे हुए मंदा असर होने के वक्त ग्रहों की कुर्बानी के बकरे (यानी असली ग्रह की अपनी जगह की बजाय किसी दूसरे ग्रह की हालत खराब हो जाए या वह अपनी जगह दूसरे ग्रह को मरवा देवे(बलि का बकरा बना दें) ) शनि : दुश्मन ग्रहों से बचाव के लिए शनि अपनी जान बचाने के लिए अपने पास राहु-केतु दो ऐसे ग्रह एजेंट बनाये हुए हैं कि वह शनि की जगह किसी दूसरे की क़ुरबानी दिला देते हैं | राहु-केतु दोनों को मुश्तरका (मिले-जुले, इकठठे) मसनूई (बनावटी) शुक्र माना है | इसलिए जब को शनि सूर्य का टकराव तंग करे तो वह खुद अपनी जगह शुक्र (औरत) को मरवा देता है या सूर्य-शनि के झगड़े में औरत मारी जायेगी या ऐसे कुंडली वाले की औरत पर इन दोनों ग्रहों की दुश्मनी का असर जा पहुंचेगा, न सूर्य खुद बर्बाद होगा ना ही शनि क्योंकि वह दोनों बाह्म (आपस में) बाप-बेटा हैं | मसलन (उदाहरण) : सूर्य खाना नंबर 6 शनि खाना नंबर 12 में हो तो औरत पर औरत मरती जाए | बुध : बुध ने अपने बचाव के लिए शुक्र के साथ दोस्ती कर रखी है |वह भी अपने दोस्त शुक्र को ही (पर) अपनी बलाएं डाला करता है या डाल देगा | लाल किताब पन्ना नंबर 45

मुझसे ई-मेल द्वारा संपर्क करने के लिए यहाँ पर कलिक करें

यदि आपने इस लेख को पसंद किया है कृपया इस ब्लॉग के प्रशंसक भी बनिए !!

"टिप्स हिन्दी में ब्लॉग" की हर नई जानकारी अपने मेल-बॉक्स में मुफ्त पाएं !!!!!!!!!!

Tags

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

आपकी टिप्पणी मेरे लिए मेरे लिए "अमोल" होंगी | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | अभद्र व बिना नाम वाली टिप्पणी को प्रकाशित नहीं किया जायेगा | इसके साथ ही किसी भी पोस्ट को बहस का विषय न बनाएं | बहस के लिए प्राप्त टिप्पणियाँ हटा दी जाएँगी |