2. कुंडली के हर खाना की मुश्तरका लकीर या दिवार हमसाया ग्रहों (सिर्फ दोस्तों) को मिलाया करती है | मगर दुश्मनों को अलाहदा-अलाहदा रखती है यानि कुंडली के किसी दो घरों में बैठे हुए ग्रह ज बाह्म (आपस)\ में दोस्त हों और कुंडली के घर जिनमें वह बैठे हैं सिर्फ एक लकीर से जुदा-जुदा हो रहे हों तो इकठ्ठे या साथ ग्रह कहलाते हैं | जो एक दूसरे का भी बुरा न करेंगे मगर दो दुश्मन गिने हुए ग्रहों की हालत में दो खानों की दरमियानी लकीर (ख़त) उन ग्रहों को जुदा-जुदा ही रखेगी |
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