lal kitab 1952 page 53

बृहस्पत चुप हो जाता है | राहू को आसमान (खाना नंबर 12) नीला रंग माना है, बृहस्पत की हवा को जब आसमान का साथ मिले है या ज्यूँ ज्यूँ हवा आसमान की तरफ ऊंची होती जाएगी, हलकी होती जायेगी, और दुनियादारों के सांस लेने के ताल्लुक (सम्बन्ध) में निकम्मी होती जाएगी, लेकिन जब व्ही बृहस्पत की हवा नीचे की तरफ होती आएगी, तो केतु का साथ होता जायेगा (खाना नंबर 6) तो हर एक की मददगार होगी | इसी उसूल पर राहू के साथ जब बृहस्पत हो तो न सिर्फ बृहस्पत का असर चुचाप बंद हालत का होगा बल्कि राहू का अपना असर बुरा होगा, या दम (साँस बृहस्पत की ताकत) घुटने पर या दम घुट जाने पर नतीजा मंदा होगा | उसके खिलाफ अगर राहू को बुध के खाली आकाश में खुला ही मैदान मिलता जाये, मगर वह खाना नंबर 12 के माने हुए आसमान की बजाये बुध के खाली आकाश में ही हो तो राहू का फल जरूर ही अच्छा बल्कि उम्दा असर देगा या राहू को बुध का घर खाना नंबर 6 या बुध के साथ मिले तो नेक असर देगा | राहू है भी बुध का दोस्त, इसलिए दोनों के बाह्म (आपस में) साथ से दोनों का फल उम्दा होग्गा | या दोनों ही खाना नंबर में ऊंच फल के और दोनों में से हर एक या दोनों ही खाना नंबर 12 में मंदे फल के होंगे | राहू को फर्जी तौर पर अगर आसमान माने तो या फर्जी दीवार बृहस्पत को साफ़ कह देगी के ऐ बृहस्पत तू मेरे ऊपर गैबी (दैवी) जगह (दुनिया) या मेरे नीचे इस इंसानी दुनिया में से एक तरफ ही रहो, गोया राहू ने बृहस्पत को दो जहाँ में से सिर्फ एक ही तरफ कर दिया या राहू के साथ बृहस्पत दोनों जहानों में से सिर्फ एक ही तरफ के जहाँ के मालिक रह जाता है या दो में से एक तरफ के लिए वह (बृहस्पत) चुप ही गिना जाता है इसी तरह है :- केतु :- जब बुध के साथ हो या जब बुध के घर खाना नंबर 6 में हो तो नीच होगा | लेकिन जब केतु को बृहस्पत का साथ मिल जाये, लाल किताब पन्ना नंबर 53



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