1. हर ग्रह के सातवें नंबर पर व्ही ग्रह ऊंच होगा, जो पहले उसी नंबर पर नीच था |
मसलन (उदाहरण) खाना नंबर 1 में अगर सूरज ऊंच है तो वह नंबर 7 में नीच होगा |
खाना नंबर 8 में चन्द्र नीच है, तो वह नंबर 2 में ऊंच होगा |
खाना नंबर 1 में शनि नीच है, तो वह नंबर 7 में ऊंच होगा |
सात ग्रह और 12 राशि या 12 X 7 = 84, चौरासी की जूनी का जंजाल या रात दिन में |
चौरासी लाख सांस का मसला अजीब पैदा हो चुका है | हर सातवें के बाद फिर व्ही ग्रह असर करते हैं या हर आठवें साल वही हालत हो जाती है | इसी उसूल पर ग्रह व राशि का असर मुश्तरका (मिले-जुले) लेते हैं | खाना नंबर 2 का नीच नहीं होता और खाना राहू व केतु (सिर्फ दोनों) की मुश्तरका (मिली-जुली) बैठक है जिसके लिए राशिफल का ग्रह नहीं है | यानि इस खाना के ग्रह अपना-अपना या अपने-अपने कर्मों (पुण्य पाप का बजाते खुद अपनी जान के मुताल्लिका-(सम्बंधित)) के करने कराने के खुद अख्तियारी (जिम्मेवार) हैं | खाना नंबर 5 का ऊंच नीच दोनों ही हिस्से नहीं होते | इस घर में बैठने वाला ग्रह अपनी (खुद जाती कमाई/औलाद खुद) की क़िस्मत का ग्रह होता है, खाना नंबर 11 का ऊंच-नीच दोनों ही हिस्से नहीं होते, यह आम दुनिया मुतालिल्का (सम्बंधित) से क़िस्मत का लेन देन है | खाना नंबर 8 का ऊंच नहीं होता-की मौत को मार नहीं सकता, सिवाए चन्द्र के जो दिल की शांति व गैबी मादड वगैरह है (दुनिया को माता गिना तो इन्सान कू बच्चा, माता के पेट में बच्चे की तरह रहने वाला) | गौर से देखे तो मालूम होगा कि राहू खाना नंबर 12 में घर का मालिक ग्रह भी लिखा है, और खाना नंबर 12 में वह नीच भी लिखा है, इसी तरह केतु खाना नंबर 6 में घर का मालिक ग्रह भी लिखा है और उसकी नीच फल की राशी भी खाना नंबर 6 ही लिखी है, मतलब है कि :-
lal kitab 1952 page 52
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सोमवार, अक्तूबर 06, 2014
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