लाल किताब : रिवायती चालीस दिन पेज न: 2

असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में रिवायती चालीस दिन पेज़-35

फरमान 6 बाह्म (आपस में) टकराव हो जाये (टकराव दुश्मनी की हालत में होता है | मिलाप या बरताव दोस्ती की हालत में)

तो सूरज 9/9 चन्द्र 8/9 शुक्र 7/9 बृहस्पत 6/9 मंगल 5/9 बुध 4/9 शनि 3/4 रहू 2/9 केतु 1/9 ताकत का होगा |

दौरा के वक्त ग्रहों के बाह्मी (आपसी) टकराव से उनके बाह्मी (आपसी,पारस्परिक) असर में कमी बेशी होने के इलावा किसी ग्रह के उपाय के लिए दूसरे ग्रह का उपाय करते वक्त भी यह ताकत का पैमाना मददगार होगा |

ग्रह की दूसरी अवस्था यानि इस्त्गाल वगैरह ग्रह फल व राशिफल जब कोई ग्रह अपनी मुकर्रर (निश्चित) राशि (यानि वो राशि जिसके घर का मालिक वह माना जाता है) या उंच नीच फल के लिए ठहराई (बताई) हुई राशि या अपने पक्के घर के बजाय किसी और गैर राशि में जा बैठे या किसी दूसरे "ग्रह का साथी ग्रह" (जड़ अदली बदली करने वाला वगैरा) बन जावे तो वह ग्रह ऐसी हालत में राशिफल या शक्की हालत का ग्रह होगा जिसके बुरे असर से बचने के लिए शक का फायदा उठाया जा सकता है | इसके बरखिलाफ (विपरीत) ऊपर कही हुई हालत के उलट हाल पर जबकि वह न उंच नीच, न घर का, और न ही पक्के घर का साबित हो तो वह ग्रह "ग्रह्फल" या पक्की हालत ग्रह होगा जिसका असर हमेशा के लिए निश्चित हो चूका है | और उसके बुरे असर को तब्दील करने के कोशिश करना बेमानी बल्कि इंसानी ताकत के बाहर होगा | सिर्फ खास खास खुद रसीदा (परमात्मा तक पहुँच वाली) और कुछ एक मरदूद (विशेष) हस्तियाँ ही रेखा में मेख (रेखा में मेखा सूरज मेख (मेष) राशि खाना नंबर 1 में रह सकती हैं | मगर वह भी आखिर तबादला ही होगा यानि के जानदार या दुनियावी चीज़ या ताकत को उसकी हस्ती से मिटाकर उसके एवज (बदले) में
लाल कितब पन्ना नंबर 38

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