असली
"लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में रिवायती चालीस दिन पेज़-34
फरमान 6
रिवायती चालीस दिन
चलता हुआ मंदा हाल अगर 31 मार्च के बाद तक ही चलता है तो पापी ग्रहों (राहू-केतु-शनि) की निशानियाँ मसलन चोरी अय्यारी, गबन, धोखागड़ी, झूठे मुकद्दमे, हादसा या नाहक बदनामियां (बजरिए राहू) रास्ता, या मुसाफरी में नुक्सान केतु के मुताल्लिका (सम्बंधित) वस्तुओं के गुमराहियाँ (केतु द्वारा) मशीनरी मकान (बजरिया शनि) के मंदे असर होने लग जायेंगे और वह मार्च के महीने में ही मंदी निशानियाँ देंगे तो समझ लेंगें कि आने वाला साल 31 मार्च 40 दिन बाद तक वही मंदा असर देगा जो कि पहले चल रहा था | इसके बरखिलाफ (विपरीत) चन्द्र अच्छा या बृहस्पत भला हो जाने का सबूत उनके मुताल्लिका (सम्बंधित) मित्र और सहायक ग्रहों की वस्तुओं से जाहिर (स्पष्ट) होने लग जायेगा | यानि चन्द्र के मित्र ग्रह उदाहरणत्या सूरज, बृहस्पत, मंगल की सम्बंधित अशया (वस्तुएँ) (हर ग्रह की जुदा जुदा चीजें अलहदा सूची में लिखी हैं) ज़रिये जाहिर होने लगे तो समझ लेंगे कि आने वाला साल का अच्छा असर 40 दिन पहले ही होने लग जायेगा | वह कब 31 मार्च के बाद दूसरा साल शुरू होना है उस तारीख से पहले 40 दिन यानि पूरा महीना तो मार्च का और 9 दिन और भी पहले फरवरी में गोया 20 फरवरी से -शुरु करके चन्द्र या बृहस्पत के ग्रहों के दोस्त ग्रहों की सम्बंधित वस्तुएं अपना नेक असर देने लग जाएँ तो समझ लेंगे कि अगला साल अपना अच्छा असर जरूर देगा और चालीस दिन पहले ही यह और उत्तम हो जायेगा | कई दफा उपाय करने के दौरान 40 दिन की निस्फ़ (आधी) या चौथाई अवधि में भी निस्फ़ (आधी) या चौथाई असर मालूम होने लग जाया करता है जो आवश्यक नहीं कि निस्फ़ (आधी) या चौथाई हिस्सा ही असर होवे | पूरा पूरा असर भी हो जाना माना है |
तमाम ग्रह बा लिहाज ताकत
(समस्त ग्रह शक्ति अनुसार)
सूरज चन्द्र शुक्र बृहस्पत मंगल बुध शनि राहू केतु क्रमश: परस्पर मुकाबला की ताकत में एक दूसरे से कम हैं |
टकराव या बर्ताव पर शक्ति का पैमाना
जब दौरा या तखत का स्वामी ग्रह व कोई और दूसरा ग्रह
लाल किताब पन्ना नंबर 37
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