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असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में फरमान न: 6 पेज़-29

फरमान न: 6 जिस्म व ग्रह का सम्बन्ध दुश्मन पार्टी शनिच्चर का दुश्मन सूरज का शुक्र का बृहस्पत का बुध का चन्द्र का केतु का मंगल बद का दुश्मन है राहु और मित्र मण्डली सूरज का दोस्त चन्द्र का बृहस्पत का मंगल नेक का राहु का बुध का शनि का शुक्र का दोस्त है केतु इसलिए गोया अर्थात ग्रहों में उपरोक्त शत्रु मण्डली के ग्रह क्रमानुसार एक दूसरे के शत्रु हैं जिनका पथ प्रदर्शक राहु केतु परस्पर शत्रु मण्डली का है यानि रहा तो सर का पथ प्रदर्शक और केतु पाँव चक्कर का स्वामी है
मानव शरीर में जिगर = (मंगल) दिल (चन्द्र) धड़ केतु के परामर्शदाता हैं |

दिमाग व जिह्वा (बुध) देखना भालना (शनि) सिर (राहु) परामर्शदाता है | सिर (राहु) धड़ केतु दोनों को मिलाने वाली गर्दन के सांस का मालिक बृहस्पत है | लिहाज़ा बृहस्पत (एक अकेले मानवीय शारीर की दशा में कुल मानव समस्त संसार की दशा में) यानि लोक और परलोक (गैबी दुनिया समस्त ग्रहों के पारस्पारिक शक्ति) का मालिक है केवल इसी गुण पर यह ग्रह किसी से शत्रुता नहीं करता | लाल किताब पन्ना नंबर 32

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