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असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में फरमान न: 1 पेज़-

दिमाग दायाँ हाथ, बायां पर चमक जब दे चुका
हुक्म नामा उसकी कुदरत मुठ्ठी बन्द इन्सान था

दरअसल सबके मालिक ने इन्सान के साथ उसके लिए मुकरर्र किए हुए कामों का हुक्मनामा हथेली पर लिखा हुआ उसको अपने ही कब्जे में ऐसे ढंग से भेजा है कि वह कभी गुम न होने पाए और न ही उसमें कोई तबदीली या धोखादेही की जा सके मगर शक्की हालत को दुरुस्त करके उसकी शक का फायदा बेशक उठा लिया जाये |

हथेली के वसीह बर्रे-आज़म पर ऊपर को उठे हुए बुर्ज और पहाड़ जिस कदर ऊँचे और लंबे चौड़े और मज़बूत होंगे उसी कदर ही एक दूसरे के अच्छी या बुरी हवा की रोकथाम कर सकेंगे |

दरिया की नदियाँ या समन्दर के मददगार दरिया जिस कदर गहरे और साफतह ज़मीन वाले होंगे उस कदर ही उनमें पानी की ज्यादा चाल और असर होगा जिस कदर नदियाँ और दरिया कम गहरे और तंग होंगे उसी कदर उनमें न सिर्फ पानी कम या उनका असर हल्का होगा बल्कि असर के वक्त की रफ़्तार भी मद्धम होगी रेखा में मुख्तलिफ निशान दरिया में बरीती जंजीरें या रास्ता की रुकावटें होंगी दरिया रेखा जिस जिस पहाड़ बुर्ज के इलाका से गुजर कर आयेंगे उसी उसी किस्म का असर उनकी साथ लाई मिटटी में होगा और बुर्ज या पहाड़ की जड़ी बूटियों और मुखल्तिफ किस्म की दवाइयों के पौधों से आई हुई तेज मद्धम मीठी या कड़वी हवा के असर का साथ रहेगा हुबहू यही अवस्था ग्रहों की मुखल्तिफ राशिओं के लिए मुकरर्र किए हुए घरों में होने पर इन्सानी जिन्दगी में होगी |

अगर कुंडली हथेली का बर्रे-आज़म बनी तो ग्रहों की नज़र का रास्ता या उनकी बाहमी दृष्टि ब्रह्माण्ड के दरियाओं की गुजर गाह होगी जो उनके असर में ग्रह मंडल की जाती दोस्ती व दुश्मनी से

लाल किताब पन्ना नंबर 14

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