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असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में फरमान न: 1 पेज़-9

सिर्फ खाली जगह जिसका दूसरा नाम आकाश है और उसमें सिर्फ हवा भरपूर है मुठ्ठी के हिलते ही उसके अंदर की हवा हरकत में आई गोया हरकत से गर्मी-गर्मी से आग, आग से पानी, पानी से मिट्टी और मिट्टी से दुनिया का सब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ

या यूँ कहो कि जब बच्चे ने मुठ्ठी खोली तो उसमें हाथ की हथेली और उँगलियों का हिस्सा जुदा-जुदा मालूम होने लगा कहीं लकीरें कहीं निशान पाए गए उंगलिओं के भी कई-कई टुकड़े जुदा-जुदा और फिर इकठ्ठे एक ही मिले नज़र आने लगे हाथ की हथेली खुश्की की एक निहायत ही बड़ा बर्रे-आज़म (महाद्वीप) या ब्रह्माण्ड माना गया हथेली पर पहाड़ की तरह ऊपर को उभरी हुई जगह का नाम बुर्ज मुकरर्र हुआ लकीरों को रेखा का नाम मिला जो पानी के दरिया लहरें मारते हुए इधर-उधर भागते हुए माने गए किसी को उम्र रेखा और किसी को किस्मत रेखा से याद किया गया और आखिर में सब इकठ्ठे मिल मिला कर एक समुन्द्र बना जिसकी वजह से इस इल्म का नाम सामुन्द्रिक या समुन्द्र की विद्या ही ठहराया गया |

फरमान नंबर 2

उसकी कुदरत का हुक्मनामा कहाँ पाया गया अक्स गैबी जाहिर पहले था सितारों पर हुआ
नक्श जिसका पीछे दुनिया के दिमागों आ हुआ
दिमागी खानों का असर तब हाथ की रेखा हुआ
चाँद सूरज फल की दुनिया से जहाँ, दो बन गया
इल्म ज्योतिष इस तरह पर जब सितारों से हुआ
सीढ़ी टेढ़ी हाथ रेखा से क्याफा चल पड़ा
लाल किताब पन्ना नंबर 13

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