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क्या आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं ?

क्या आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं ?

जैसा कि इस पोस्ट के टाईटल से जाहिर है, बहुत से ब्लॉगर रस्मी टिप्पणी करते हैं | मैं भी कभी कभार इस तरह की टिप्पणी कर जाता हूँ | पता नहीं क्यूँ ? इस तरह की टिप्पणियों को देखकर मन में कुछ प्रश्न उभरते हैं :-

१. क्या रस्मी टिप्पणी करना जरूरी है ?
२. क्या आप सिर्फ रस्म निभाने के लिए टिप्पणी करते हैं (रस्म से भाव है कि उस ने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी की थी इसलिए मुझे भी टिप्पणी करनी है ) ?
३. क्या रस्मी टिप्पणी करना निहायत जरूरी है ?
४. क्या हमे ज्यादातर रस्मी टिप्पणी ही करनी चाहिए ? वो भी इसलिए की इससे समय की बचत होती है |
५. क्या रस्मी टिप्पणी करना आपकी आदत में शुमार है ?
६. क्या आपको सिर्फ रस्मी टिप्पणी करना ही अच्छा लगता है ?
७. आप रस्मी टिप्पणी करते क्यूँ है ?

अब बात करते हैं रस्मी टिप्पणियों की | ये रस्मी टिप्पणियाँ होती कैसी हैं ? आइये देखते हैं :-
वाह बहुत बढ़िया
बहुत अच्छा लिखा है |
nice one
a great post
खूबसूरत अभिवयक्ति
मन से निकली पंक्तियाँ

कुछ इसी तरह की टिप्पणीयाँ आपको हर ब्लॉग पर हर पोस्ट पर मिल जाएँगी | लेकिन इन टिप्पणियों को पढने के बाद मन में प्रश्न उभरता हैं | क्या आप इस तरह की टिप्पणियाँ पाने के लिए लिखते हैं | क्या ये टिप्पणी सच में आप द्वारा लिखे गये आलेख, कविता, ग़ज़ल का आकलन है | बस अच्छा लिखा आपकी पोस्ट का आकलन हो गया | इसका मतलब तो ये हुआ कि या तो उन्होंने ने आपके लेख को पढ़ा ही नहीं सिर्फ रस्म निभाने के लिए बस एक टिप्पणी करनी है ताकि आप भी उनके ब्लॉग पर जाकर ये रस्म निभा सकें | ब्लॉग जगत में ये नियम लागू है की आप मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी करो मैं आपके ब्लॉग पर टिप्पणी करूंगा | यदि आप मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करोगे तो मैं आपके ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करूंगा | इस ब्लॉग के दुनिया में ज्यादातर टिप्पणी करने वाले लेखक ही हैं जो आपके ब्लॉग पर टिप्पणी करते हैं | मेरे ख्याल से (जरूरी नहीं सभी इससे सहमत हों) ऐसी रस्मी टिप्पणी करना शायद उनकी अपनी मजबूरी हो क्यूँकि उन्होंने बहुत से ब्लॉग पर टिप्पणी करने जाना है | अब विस्तृत टिप्पणी करेंगे तो ज्यादा ब्लॉग पर टिप्पणी करना मुश्किल हो जायेगा |

मेरी सोच के मुताबक नकारत्मक टिप्पणी नये सिरे से कुछ अच्छा सोचने को विविश करती है, कुछ नया पेश करने का जज्बा पैदा करती हैं |
या फिर एक कारण ये भी हो सकता है कि ये तो हमारी आदत है |
या फिर ये भी हो सकता है की भाई ये साधारण सा लिखते हैं इस पर एक बढ़िया टिप्पणी देने की क्या जरूरत हैं
या फिर ये भी सकता है इस ने लिखा तो बहुत बढ़िया है लेकिन हम अनाड़ी है इसलिए बढ़िया टिप्पणी न सही टिप्पणी तो करनी ही चाहिए चाहे वो साधारण सी हो |
या ये भी हो सकता है कि ये आपकी आदत में शुमार हो |
या ये भी हो सकता है कि आप दूसरों की ज्यादातर टिप्पणियों को देखकर अपनी टिप्पणी करते हैं |
या ये भी हो सकता है की चाहे कुछ भी हो जाये हमें तो टिप्पणी ऐसी ही करनी है, हम तो आदत से मजबूर हैं |

ऐसी रस्मी टिप्पणी किसी भी पोस्ट के लेखक को क्या सन्देश देती हैं ?
क्या ऐसी टिप्पणी सिर्फ संख्या बढाने का साधन है ?
क्या ऐसी टिप्पणी आपको संतुष्ट करती हैं ?
क्या ऐसी टिप्पणीयां आपको आकर्षित करती हैं ?
क्या आप ऐसी टिप्पणियों को पाकर खुश होते हैं ?

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13 टिप्पणियाँ

  1. करता हूँ मैं टिप्पणी, पढ़ कर पूरा लेख |
    यहाँ लिंक लिक्खाड़ पर, जो चाहे सो देख |
    जो चाहे सो देख, जमा हैं यहाँ हजारों |
    कुछ करते नापसंद, करूं पर मैं क्या यारो |
    आदत से मजबूर, उन्हें जो रहा अखरता ||
    लेकिन काम-चलाउ, कभी रविकर भी करता ||

    जवाब देंहटाएं
  2. आज टिप्पणी देना,मात्र रश्म बन कर रह गया है,,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

    जवाब देंहटाएं
  3. सोच रही हूँ
    प्रतिक्रिया लिखूँ
    या
    न लिखूँ

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. वैसे मेने कभी इस प्रकार की टिप्‍पणी नहीं की परन्‍तु एक ब्‍लागर है कुमार राधारमन जी जो चिकित्‍सा के उपर अपना ब्‍लाग चलाते है मेने अक्‍सर देखा है कि जब मे उनकी पोस्‍ट पर कमेन्‍ट करता हू तो वे भी मेरी पोस्‍ट पर कमेन्‍ट कर देते है 10 20 बार ऐसा हुआ है और यदि मे टिप्‍पणी नही करता तो चाहे कितनी ही पोस्‍ट मेरी आ जाये उनकी टिप्‍पणी नही आती है
    मै आज उनसे कहना चाहता हॅ की यदि डा0 साहब आप टिप्‍पणी नही करते हो तो मुझे दुख नही होता पर जब मेरे द्वारा टिप्‍पणी करने पर आप उसी समय मे वापस मेरे ब्‍लाग पर टिप्‍पणी करते हो तो वास्‍तव मे मन दुख से भर जाता है इसी क्रम मे मैने उनके ब्‍लाग पर जाना छोड दिया हैा

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
    सूचनार्थ... सादर!

    जवाब देंहटाएं
  7. आपका कहना बिलकुल सत्य है सर जी, लेकिन क्या ब्लोगिंग सिर्फ कमेन्ट पाने के लिए ही की जाती है, वैसे मैंने कई जगह रस्मी टिप्पणियाँ की है लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है की वो ब्लोगर भी मेरे ब्लॉग पर आके टिप्पणी करे, मुझे जो पोस्ट पसंद आती है सिर्फ उसी पर कमेन्ट करता हूँ जैसे आपकी ये पोस्ट मुझे पसंद आई इसलिए मैंने ये कमेन्ट कर दिया...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया दिनेश जी, लेकिन बहुत से ब्लॉगर की ये दिली इच्छा है कि उनके ब्लॉग पर टिप्पणी जरूर आये | टिप्पणी न आने की वजह से बहुत से खासकर नये ब्लॉगर का मन करता है की ब्लॉग लिखना छोड़ दें | इसी प्रकार के कई लेख भी मैंने पढ़ें हैं कि ब्लॉग पर कमेंट्स तो आते नहीं तो लिखने का क्या फायदा | बस यहीं से शुरू होती है रस्मी टिप्पणी की रिवायत | मेरा ब्लॉग कोई बहुत ज्यादा पुराना नहीं है | हालांकि टिप्पणी मुझे भी अच्छी लगती है लेकिन जरूरी नहीं | मेरे लेख पर चाहे टिप्पणी आये या न आये लिखना बदस्तूर जारी है | इस ब्लॉग जगत में कई ब्लॉग पर तो बाकायदा ये लिखा है की आप मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी करें मैं आपके ब्लॉग पर टिप्पणी करने जरूर आऊंगा | ऐसा ही और भी बहुत कुछ | हालांकि मैंने भी अपने ब्लॉग पर कुछ समय पहले ये लिख रखा था कि यदि आप लेख पसंद करते हैं तो टिप्पणी अवश्य दें | लेकिन अब मैंने महसूस किया है की मुझे इस सन्देश को अपने ब्लॉग पर आगे से स्थान नहीं देना है | इसलिए मैंने इस सन्देश को हटा लिया है | मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी चाहे आये या न आये मैंने तो लिखना है अपने मन में उत्पन्न उन विचारों को |

      हटाएं
    2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  8. आपके बहुत कुछ पॉइंट पर हम सहमत है, फिर भी यदि कोई पाठक किसी ब्लॉग पर जाता है तो बिना पढ़े तो कॉमेंट्स कर नही सकता,बिना अच्छा लगे पोस्ट पर रस्मी कॉमेंट्स करना बेकार है।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सही सवाल उठाया आपने...मेरे मन में भी यह बात आती है कई बार। हालांकि खुद कई बार मैं भी ऐसा ही लि‍ख जाती हूं.....मगर जो चीज अच्‍छी लगती है उस पर कुछ न कुछ मन में आ ही जाता है....वैसे ये हम सबको ध्‍यान रखना चाहि‍ए।

    जवाब देंहटाएं
  10. एक अच्छा विषय आपने रखा है

    वस्तुतः होना ये चाहिए टिपण्णी के माध्यम से

    दिल से सराहना अच्छी रचना के लिए और

    मार्ग-दर्शन लेखन में प्रयासरत लोगों के लिए

    महज औपचारिकता नहीं। लेकिन जरा सी बात

    मन में वैमनस्यता पैदा न कर दे इस डर से कोई भी

    संक्षिप्त में लिखना पसंद करता है .....

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  11. रस्मी तो नही पर मै मजबूर हूं पहले मै मोबाईल पर पढ लेता हूं और स्पीड कम होने के कारण कमेंट नही कर पाता सो उन् पोस्टो को बुकमार्क या रीडर में स्टार कर लेता हूं ओर कैफे से कमेंट करता हूं फिर

    जवाब देंहटाएं

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