ग्रह किस्मत बन जाता हो
खाली पड़ा घर 10 जब टेवे
सोया हुआ कहलाता होआ
बुनियाद समंदर ग्रह(१) 9 होते
पहाड़ ऊंचा घर 2 का हो
चाल असर ग्रह दूजे बैठे
ज़ेर (नीचे) असर गुरु साया(२) हो
हवा बारिश जो 9 से चलती
टक्कर दूजे(३) का खाती हो
आठ पड़ा घर जब तक खाली(४)
असर भला ही देती होआ
शुरू उम्र में असर दूजे का
घर 6वें पर पड़ता हो
जाती असर हो नेक जो अपना
वक्त बुढ़ापे बढ़ता हो
बुनियाद मंदिर(२) घर(१) चौथा गिनते
आठ छटे(३) से मिलता है
खाली(३) होते गुरु मंदिर(२) टेवे
असर रूहानी उम्दा हो
1. खाना नं० 2 हमेशा 9 ही ग्रहों या खाना नं० 9, जो समुद्र गिना जायेगा, की बुनियाद होगा मगर खुद नं० 2 की मियाद खाना नं० 4 होगा।
2. जैसा भी बृहस्पत टेवे में हो वैसी ही हवा के झोकों से साथ होगी।
3. खाना नं० 8 देखता है खाना नं० 2 को, खाना नं० 2 देखता है नं० 6 को, इसी तरह खाना नं० 2 में खाना नं० 8 का और खाना नं० 6 का बाह्मी ताल्लुक (आपसी संबंध) हो जाता है।
खाना नं० 8 खाली हो तो खाना नं० 2 उम्दा होगा, मगर जब खाना नं० 2 खाली हो तो सब कुछ उम्दा होगा।
बृहस्पत नं० 2 और खाना नं० 8 खाली के वक्त पर बृहस्पत मंदा ही होगा या बृहस्पत की हवा मंदी आंधी होगी जो हर तरह का नुक्सान करेगी। मगर नं० 9 बरसाती मौनसून हवा के उठने का समुद्र हो तो खाना नं० 2 बारिश से लदी हवा से टकरा कर बरसाने वाला कोहसार (पहाड़ों का लम्बा सिलसिला) होगा।
lal kitab 1952 page 60
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सोमवार, अक्तूबर 06, 2014
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