ज्योतिष में इसे लग्न भी कहते,
झगड़ा जहाँ रूह-माया का
ऊंच बैठे ग्रह उत्तम गिनते,
दस्ती लिखा ख्वाह विधाता हो
खाली पड़ा घर 7 जब टेवे,
शक्की असर कुल ग्रहण का हो
लग्न बैठा ग्रह तख्त नशीनी,
राज शाही जब करता हो
आँख गिना घर आठ है उसकी,
11 से हर दम चलता हो
अकेला तख्त पर बहुत हो 7 वें,
राजा वजीरी होती है
उलट मगर जब टेवे बैठे,
जड़ सातवें की कटती(1) है
) ऊंच-नीच(2) जो गिने घरों के,
वह नहीं एक-सात लड़ते हैं
बाकि ग्रह सब झगड़ा करते,
उम्र से भी चन्द्र मरते हैं
1) खाना नंबर 1 में सूरज ऊंच होगा व शनि नीच होगा और मंगल घर का ग्रह होगा और खाना नंबर 7 में शनि ऊंच होगा, सूरज नीच होगा और शुक्र घर का ग्रह होगा |
2) मसलन खाना नंबर 1 में बृहस्पत, चन्द्र, बुध राहू (चार ग्रह) और खाना नंबर 7 में अकेला केतु हो तो 34 साला उम्र (बुध की मियाद) तक नर औलाद केतु नदारद या पैदा हो कर मरती जावे और 48 साला उम्र (केतु की मियाद) तक एक ही लड़का कायम हो | अगर 48 साला उम्र से दूसरा लड़का कायम हो जाये तो बुध लड़की बेघर बेइज्जती या दीगर (पुन:, दोबारा) मंदे नतीजों में बर्बाद होगी | टेवे वाला अगर चार और जानों (कुत्ता-केतु, घोड़ा-चन्द्र, गाय-शुक्र, तोता-बुध कोई भी चार जानवर) को रोटी का हिस्सा देवे तो नर औलाद कायम होगी और औलाद पैदा होने के दिन से चन्द्र, राहू, बृहस्पत, बुध मुस्तरका (मिले-जुले) राज योग होंगे वर्ना चन्द्र, राहू, बुध, बृहस्पत के उम्दा असर के बजाये खाक की बोरी या हर तरह लानत नसीब होगी
lal kitab 1952 page 57
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सोमवार, अक्तूबर 06, 2014
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