4. वर्ण : हिन्दी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है । जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क्, ख् आदि । वर्ण यानि कि अक्षर | जो व्यक्ति पिंगल के बारे में जानते है वो जानते है कि पिंगल का अर्थ क्या है जो नहीं जानते उनके लिए ये जानना जरूरी हैं कि पिंगल की भाषा में अक्षर को वर्ण के नाम से जाना व पढ़ा जाता है |
उच्चारण के समय की दृष्टि से स्वर के तीन भेद किए गए हैं:
जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते। ये संख्या में ३३ हैं। इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं:
कवर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्)
तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
य् र् ल् व्
श् ष् स् ह्
वैसे तो जहाँ भी दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिल जाते हैं वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं, किन्तु देवनागरी लिपि में संयोग के बाद रूप-परिवर्तन हो जाने के कारण इन तीन को गिनाया गया है। ये दो-दो व्यंजनों से मिलकर बने हैं।
जैसे-क्ष=क्+ष अक्षर,
ज्ञ=ज्+ञ ज्ञान,
नक्षत्र कुछ लोग क्ष् त्र् और ज्ञ् को भी हिन्दी वर्णमाला में गिनते हैं, पर ये संयुक्त व्यंजन हैं। अतः इन्हें वर्णमाला में गिनना उचित प्रतीत नहीं होता।
इसका प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर होता है। इसका चिन्ह (ं) है। जैसे- सम्भव=संभव, सञ्जय=संजय, गड़्गा=गंगा।
इसका उच्चारण
जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख दोनों से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्रबिंदु (ँ) लगा दिया जाता है। यह अनुनासिक कहलाता है। जैसे-हँसना, आँख। हिन्दी वर्णमाला में ११ स्वर तथा ३३ व्यंजन गिनाए जाते हैं, परन्तु इनमें ड़्, ढ़् अं तथा अः जोड़ने पर हिन्दी के वर्णों की कुल संख्या ४८ हो जाती है।
जब कभी व्यंजन का प्रयोग स्वर से रहित किया जाता है तब उसके नीचे एक तिरछी रेखा (्) लगा दी जाती है। यह रेखा हल कहलाती है। हलयुक्त व्यंजन हलंत वर्ण कहलाता है। जैसे-विद्यां।
मुख के जिस भाग से जिस वर्ण का उच्चारण होता है उसे उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहते हैं।
क्रम | वर्ण | उच्चारण | श्रेणी |
---|---|---|---|
1. | अ आ क् ख् ग् घ् ड़् ह् | विसर्ग कंठ और जीभ का निचला भाग | कंठस्थ |
2. | इ ई च् छ् ज् झ् ञ् य् श | तालु और जीभ | तालव्य |
3. | ऋ ट् ठ् ड् ढ् ण् ड़् ढ़् र् ष् | मूर्धा और जीभ | मूर्धन्य |
4. | त् थ् द् ध् न् ल् स् | दाँत और जीभ | दंत्य |
5. | उ ऊ प् फ् ब् भ् म | दोनों होंठ | ओष्ठ्य |
6. | ए ऐ | कंठ तालु और जीभ | कंठतालव्य |
7. | ओ औ | दाँत जीभ और होंठ | कंठोष्ठ्य |
8. | व् | दाँत जीभ और होंठ | दंतोष् |
ये जानकारी आप सभी के लिए बहर को जानने के लिए अति जरूरी है | वर्ण सबंधी जानकारी विकिपीडिया से ली गई है |
जिसदे निघे प्यार नूं, लोचे सरब जहान ||
अब आप उपरोक्त पहली लाइन के अंत में देखें जहाँ पर इन्सान लिखा है व दूसरी लाइन के अंत में जहाँ पर जहान लिखा है | वहाँ पर इन दोनों शब्दों के अंत में विराम चिन्ह का प्रयोग किया गया है, इसी को तुकांत कहते हैं (जिसका मतलब है तुक का अंत)| यहाँ पर एक और बात जिकरयोग है कि किन्हीं भी दो पंक्तिओं का तुकांत हमेशा मिलता है जैसे उपरोक्त दोनों पंक्तिओं में इन्सान और जहान | इस में एक और बात ध्यान देने योग्य बात है कि गज़ल के किसी भी दो लाइनों के बीच तुकांग मेल नहीं खाता | आप उपरोक्त इन दोनों पंक्तिओं में यदि ध्यानपूर्वक देखेंगे तप पाएंगे की इन पंक्तिओं में के व नूं आपस में नही मिलते |
चर्चा यूं ही जारी रहेगी : शेष अगले भाग में >>>
क्या आपको ये बहर विषय पर जानकारी पाने के लिए प्रारंभिक जानकारी से संबंघित दूसरा लेख पसंद आया ? यदि हां !!! तो अपने विचारों से अवगत कराएं |
अच्छी लेकिन प्रस्तुति कई जगह ठीक नहीं लगी।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल पसंद आया जी। हम तो सहेजते जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा जारी रखें ! ज्ञानवर्धक ! सहेज कर रख ली समझने के लिए बार-बार पढेंगें !
जवाब देंहटाएंलेख की अगली कढी का इंतज़ार रहेगा .....
आभार!
कुछ आधारभूत भ्रमपूर्ण तथ्य हैं...
जवाब देंहटाएं--- यथा ..वर्ण शब्द को नहीं अपितु अक्षर को कहते हैं...अ आ आदि अक्षर हैं वर्ण हैं, शब्द नहीं। दो या अधिक अक्षरों/ वर्णों के संयुक्त होने पर शब्द बनता है...यथा.. और, तुम आदि।
---तुकांत का अर्थ..तुक का अन्त नहीं अपितु .अर्थ है कि....पदान्त में वही तुक होनी चाहिये ..
--- दीर्घ स्वर ..ह्रस्व स्वरो का दीर्घ रूप ही हैं क्योंकि उनमें अधिक. दुगुना समय लगता है इसीलिये उन्हें दीर्घ का नाम दिया गया ..अतः विशेष टिप्पणी आवश्यक नहीं। आधारभूत पढाते समय भी.. अ s आ s s..इs ईss या छोटा अ..बडा अ..पढाया जाता है..
[co="red"]डॉ. श्याम गुप्ता जी ध्यान दिलवाने के लिए धन्यवाद | उपरोक्त जानकारी को साधारण भाषा में समझाने के लिए शब्दों के साधारण रूप को लिखित किया गया था | शब्द की जगह अक्षर की दुरुस्ती कर दी गई है |[/co]
जवाब देंहटाएं