1 प्राय: गाँवों (ग्रामों) में बच्चे के जन्म समय (प्रसव के वक्त) दाई (मिडवाइफ) ही मौजूद होती है | ऐसी स्थिति में
2. गावों के बात तो छोड़िये प्राय: हस्पतालों में भी यही हालत है | प्राय: नर्स
इस तरह बच्चे के
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1. पहला मत : जब शिशु का कोई भी अंग बाहर दिखे तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए |
2. दूसरा मत : जब शिशु पूर्ण रूप से बाहर आ जाए तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए |
3. तीसरा मत : जब शिशु बाहर आ कर रोना आरम्भ आकर दे या किसी प्रकार की आवाज करे तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए |
4. चौथा मत : जब शिशु की नाल काटकर शिशु को अपनी माँ से पूर्णतया अलग कर दिया जाता है तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए |
उपरोक्त चारों विकल्पों में से किसी भी के विकल्प को मान लेने से सही जन्म समय को जानने से भ्रम की स्थिति तो फिर भी बनी रहेगी | बहुत से विद्वान शिशु के रोने या आवाज किये जाने को शिशु का जन्म समय मानते हैं | यदि किसी कारणवश शिशु जन्म के उपरांत रोने की कोई आवाज उत्पन्न न करे तो नाल काटने के समय को जन्म समय मान लेना चाहिए | इसका मतलब तो ये हुआ कि शिशु के रोने की आवाज या शिशु के नाल काटने के समय में से जो भी पहले हो उस समय को जन्म समय मान लेना चाहिए | इस प्रकार इस मत को मान लेने से भी भ्रम की स्थिति पैदा होती है | क्योंकि समय तो एक ही होना चाहिए व वो समय सभी को मान्य होना चाहिए |
उपरोक्त दोनों तथ्यों का मनन करने पर पता चलता है कि सबसे उपयुक्त व तर्कसंगत जन्म समय वो ही मानना चहिये जब शिशु को नाल से काट कर अलग किया जाता है | नाम से काटने के पश्चात् ही शिशु का स्वतंत्र अस्तित्व शुरू होता है | यही समय ही शिशु का जन्म समय हो सकता है | ज्यादातर विद्वान भी इसी मत पर सहमत हैं व इसी मत को मानते हैं व इस समय को जन्म समय मानते हुए कुंडली निर्मित करते हैं | इसी समय को ध्यानपूर्वक नोट करना चाहिए |
कुंडली निर्माण के लिए इस प्रकार के शुद्ध जन्म समय की जरूरत होती है| जहाँ सही समय का ज्ञान होने से कुंडली निर्माण लाभकारी सिद्ध होया सकता है वहीं सही समय ज्ञात न होने से किसी भी कुंडली कर निर्माण परेशानी व मानसिक तनाव का कारण बन सकता है |
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aapka alekh bahut laabhprad hai aapki har baat se sahmat hoon.humare desh me kya padhe likhe kya anpadh sabhi kundali ke bhram me pade rahte hain shaadi me bhi bahut adchne aati hain.aapka lekh logon ki aankhe khol sakta hai.
जवाब देंहटाएंaapka yeh aalekh face book par daal rahi hoon chahti hoon jyada se jyada log isse laabhanvit ho.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राजेश कुमारी जी | लोगो को भ्रम से निकलना ही चाहिए |
जवाब देंहटाएंज्योतिष और जन्मकुंडली में भ्रम के सिवा और कुछ है भी?
जवाब देंहटाएंupyogi jankari ke liye aabhar ...
जवाब देंहटाएंWelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
मेरे ख्याल से माँ से पूर्ण रूप अलग(नाल)काटने का समय ही जन्म समय होना चाहिए,.....
जवाब देंहटाएंWELCOM to --काव्यान्जलि--जिन्दगीं--
welcome to --काव्यान्जलि--जिन्दगीं--
जवाब देंहटाएंआप ठीक कहते हैं धीरेन्द्र जी | ज्यादातर विद्वान इसी समय को ही जन्म समय मानते हैं | भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान है कोई जादू की छड़ी नहीं | इस विज्ञान से ग्रह व नक्षत्रों का सूक्षतम अध्ययन से इस के बारे में विद्वान आपनी जानकारी दूसरों के साहमने प्रकट करते हैं | कोई भी विद्वान ये दावा नहीं करता कि जो उस द्वारा कहा गया है वो असल में होगा या नहीं |
जवाब देंहटाएंज्ञान वर्धक जानकारी
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
बहुत अच्छा !!.
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
विनीत जी नमस्कार ,नव वर्ष की हार्दिक बधाई आपकी हर पोस्ट जानकारी भरी होती है।
जवाब देंहटाएंvaneet g apne jo bahde bajurgo ke bare me kaha hai. hume unke bare me kuch bhi nahi pata.vo kya karte the kya sanskar the sirf naam hi pata hai..is ke liye hum kya kare..hame lal kitab ke upaye karne se fayada hoga..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अच्छा पोस्ट है उपयोगी है , क्या आप कुंडल दुरुस्ती क्या है केसे किया जाता है पर अपना पोस्ट डाल सकते है ???
जवाब देंहटाएंजब भी लाल किताब कुंडली पहली बार कोई व्यक्ति दिखाता है ,तब तक उसकी उम्र 20 साल हो ही जाती है ,एक बात तब या कभी भी लग्न कुंडली और वर्ष कुंडली के अनुसार अलग उपाय करना चाहिए या केवल वर्ष कुंडली के उपाय ???
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जवाब देंहटाएंvery awesome topic about astrology and good informative blog.Best Astrologer in Australia | Best Astrologer in Sydney
बहुत ही बेहतर सुझाव है ।
जवाब देंहटाएंश्री मान ये बताएं कि क्या जो अंकित जन्मतिथि है उस पर कुंडली बन सकती है या फिर उससे जीवन पर कोई असर पड़ता है ।
जवाब देंहटाएंkisi ko apne sahi samay ka gyan na ho aur apne papa ji se puchne per unhone bataya 22.30 se 23.30 ke bich me he fir kese pata chalega sahi samay kya he...
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