आसान और कम कीमत के बताए गए जो अमूमन ठीक वक्त पर असर देता हुए पाए गए हैं |
3. मज़मून बहुत लंबा चौड़ा होने की वजह से सिर्फ उन्हीं घटनाओं का जिक्र है तो निहायत संगीन, शदीद बल्कि खून से लिखे जाने के काबिल हों मामूली तप (बुखार) या साधारण कष्ट की बजाए तपेदिक, मिर्गी, अधरंग,इंसानी बाकी है या चला गया है (मर गया) का बखान किया गया है, गर्जे कि दरम्यानी शक्की जवाब को दूर करने की कोशिश की गई है |
4. प्राचीन (पुराने) ज्योतिष में अगर राहु जन्म कुंडली के पहले घर में हो तो केतु उस कुंडली में हमेशां लग्न से सातवें होगा बुध भी सूरज के आगे पीछे या नजदीक साथ-साथ चलता होगा मगर ग्रहों की यह कैदें इस मज़मून में नहीं रखी गई बल्कि इस मज़मून के मुताबिक वर्षफल बनाने की दी हुई फहरिस्त की बुनियाद पर राहु और केतु एक दूसरे के नजदीक घरों में बल्कि हाथ रेखा से बनी हुई जन्म कुंडली या वर्षफल में तो एक ही घर में इक्कठे की आ सकते हैं इसी तरह हो सकता है कि बुध का ग्रह सूरज से कितने ही घर दूर हो जावे गर्जे कि इस मज़मून में हर एक ग्रह अपनी-अपनी जगह आज़ाद होगा और उसकी अपनी बैठक, ग्रह चाली हालत या तरीका असर पर किसी तरह की कैद न होगी और तमाम ग्रह समान अधिकारों के स्वामी होंगे |
5. ख़ास बात यह है कि टेवे या कुंडली से जिन्दगी का सम्बंधित फलादेश देखने के सिद्धांतो में
मेख राशी खुद लग्न को गिनकर, बारह पक्के घर मान गया
ज्योतिष विधा के अनुसार बनी हुई जन्म कुंडली लग्न वाला घर लाल किताब में मेष राशी का पक्का घर हमेशा नंबर 1 होगा जिसके (क्रमानुसार) बाद बाकि सब घर क्रमश: गिनती में होंगे | यानि पुरानी ज्योतिष विधा वाले कोई भी जन्म राशी रख कर लग्न मुकरर करें उनकी जन्म राशी
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