asli lal kitab hindi mein : farman no.-6 page-23

असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में फरमान न: 6 पेज़-23

फरमान न: 6

किस्मत की गांठों से ही
ग्रह मंडल बन गया


धर्म दरिया कोसो ऊँची, ग्रह ही सखी लख दाता हो
उलटे वक्त खुद गाँठ लगती, लेख लिखा था विधाता जो
(गिरह: गाँठ)
     दुनिया के प्रारम्भ और ब्रह्माण्ड के खाली आकाश में (जो बुध का आकार है) सबसे पहले अँधेरा (शनि का सम्राज्य) मानकर इसमें रौशनी (सूरज की किरणों की चमक) का प्रवेश ख्याल किया गया इस रौशनी (सूरज) और अँधेरे शनि दोनों के साथ-साथ हवा जो दोनों तो जहानों के मालिक बृहस्पति की राजधानी है चाल रही है यानि हवा अँधेरे में भी होती है और रौशनी में भी हुआ करती है मसलन शीशे का बाक्स हो तो उसके अंदर खली जगह में भी हवा होगी और उस बक्स के बाहर भी हवा महसूस होगी गोया बुध का शीशा अँधेरे और रौशनी दोनों को ही अंदर से बाहर और बाहर से अंदर जाहिर होने की इजाजत देगा मगर वह (बुध या शीशा) हवा को बाहर से अंदर या अंदर से बाहर जाने न देगा यही चक्र में डाले रखने की दुश्मनी बृहस्पति को बुध से होगी या बुध के आकाश की खाली जगह में किस्मत को स्पष्ट करने वाला ग्रह चाली लाल किताब पन्ना नंबर 25

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1 टिप्पणियाँ
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