एक वक्त दोनों साथी हम असर एक जमाना एक नस्ल ख बेगाना सब ही का जन्म वक्त एक ही होने की हालत की दुरुस्त की बुनियाद क्या होगी परअक्स (इसके विपरीत) भूचाल, हादसा, दरियाओं की दरम्यानी जंगे अज़ीम की गोलाबारी या दीगर व वाई (संक्रमक रोग) और जहरीले वकात के हजारों लाखों का आखिरी वक्त (मौत) एक जैसा ही होगा और एक ही होनो देखा गया तो फिर सबका निश्चय जाता ही मालूम होने लगा इस पर ख्याल गुज़रा कि हस्त रेखा और इल्म क्याफा के मुताबिक जब हर एक की रेखा और लकीरें जुदा-जुदा हैं तो हालात का नक्शा क्यों तसल्लीबख्श ना होगा मगर फिर भी वहम पैदा हुआ कि जब १२ साला बच्चे की रेखा को कोई एतबार नहीं और 18 साला उम्र से बड़ी रेखा में कोई तबदीली नहीं मानते (मगर शाखों का बदलना माना गया है) तो यकीन किस बात पर होगा इस तरह दोनों इल्मों से कोई दिलजोई न हो सकी क्योंकि एक तो जन्म वक्त (लग्न) गलत होने की वजह से ही बे-बुनियाद हो गया और दूसरा सिर्फ एक अकेले ही जिंदगी का नको-यद (तबियत के नरमी-गर्मी)बताकर चुप हुआ और किसी दूसरे साथी या ताल्लुकदार का कोई वार्ता न बता सका वो आखिर पर हर दो इल्मों का इकठ्ठा किया गया मगर फिर मालूम हुआ
कि बुनियादी असूलों की वाकफियत के बगैर कोई मतलब हल न होगा लिहाज़ा शक को दूर करने के लिए या उसका फायदा उठाने के लिए इस इल्म में फलादेश और योग्बंधन आदि के अलग-अलग हिस्से निश्चित हुए
1. ताया चाचाजाद या खालू मामू घरों एक ही वक्त के इकठ्ठे पैदाशुदा भाई
2. खां आलीशान राजा खां निर्धन दुखिया फकीर मगर दोनों एक ही शहर में इकठ्ठे रहने वाले निवासियों के यहाँ एक वक्त में पैदा शुदा बच्चे
3. एक कश्मीरी दूसरा मद्रासी तीसरा महाराष्ट्री तो चौथा बंगाली पर सब इलाकों के वासियों के ही एक ही वक्त में पैदा शुदा बच्चे
4. एक मुल्क के गए हुए मगर एक लंका में दूसरा अमरीका में तीसरा इंग्लैंड तो चौतः जापान में अगर वक्त के जोड़ घटाव कर देने के बाद सब बच्चों का जन्म वक्त एक ही है तो सब का जन्म लग्न वक्त भी एक ही होगा मगर जिन्दगी के हालात अमूमन कभी एक ही न होंगे |
वास्ता न बता सका तो आकिर पर हर दो इल्मों को इकठ्ठा किया गया मगर फिर भी यही मालूम हुआ कि बुनयादी उसूलों की वाकफियत के बगैर कोई मतलब
न होगा | लिहाज़ा शक को दूर करने के लिए या इसका फायदा उठाने के लिए इस इल्म में ग्रामर फलादेश और योग बंधन वगरेह के अलाहदा हिस्से मुकर्रर हुए
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