Pearls : some information about it

मोती-एक प्राचीन रत्न :
कुछ जानकारी इसके बारे में

रत्न परिचय मोती रत्न प्रकृति प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न सुवासित, चित्ताकर्षक, चिरस्थायीव दुर्लभ होने तथा अपने अद्भुत प्रभाव के कारण भी मनुष्य को अपने मोहपाश में बाँधे हुए हैं। रत्न आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। रत्नों में चिरस्थायित्व का ऐसा गुण है कि ये ऋतुओं के परिवर्तन के कारण तथा समय-समय पर प्रकृति के भीषण उथल-पुथल से तहस-नहस होने के कारण भी प्रभावित नहीं होते। रत्न चौरासी प्रकार के होते हैं। उनमें से माणिक्य, मोती, पन्ना, हीरा, नीलम ये पंच महारत्न कहे जाते हैं। 'रत्न' शब्द आधुनिक युग या मध्यकालीन युग की देन नहीं अपितु अति प्राचीन युग की देन हैं, क्योंकि ऋग्वेद विश्व का अति प्राचीन ग्रंथ है। ऋग्वेद के अनेकों मन्त्रों में रत्न शब्द का प्रयोग हुआ है। उदाहरणार्थ- अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्‌।    
होत्तारं  रत्न  धात्तमम्‌ ॥  ऋ. 1 -1 -1 ॥

मोती के प्रकार
मोती का अपना महत्व है । मोती चंद्र ग्रह का रत्न है । मोती को हिंदी में मोती, उर्दू व फारसी में "मुखारिद" अंग्रेजी में "Pearl" लेटिन में "मार्गारीटा" कहा जाता है | मोती के नौ प्रकार हैं :-
1. गजमुक्तक मोती यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ मोती माना जाता है | यह मोती हाथी के मस्तक से प्राप्त होता है | इसलिए इसका नाम गजमुक्ता रखा गया है | परन्तु यह मोती सभी हाथियों के मस्तक से प्राप्त नहीं होता | यह मात्र उन्हीं हाथिओं के मस्तक से प्राप्त होता है जिन हाथिओं का जन्म पुष्य या श्रवण नक्षत्र में सोमवार या रविवार के दिन सूर्य के उतरायण काल में होता है | गजमुक्ता हाथियों के दन्तकोषों व कुम्भस्थलों से भी प्राप्त होता है | ये मोती सुडौल स्निग्ध एवं तेजयुक्त होते हैं | इस प्रकार के मोती को शुभ तिथि में धारण करने से सभी प्रकार के कष्ट शांत होते है व मन को शक्ति प्राप्त होती है | गजमुक्ता मोती को न तो छेदना चाहिए व न ही इसकी कीमत लगानी चाहिए |

2. सर्पमुक्त मोती यह मोती उच्चकोटि के वासुकि जाति के सर्प के मस्तकमें पाया जाता है | जैसे जैसे सर्प दीर्घायु होता जाता है, वैसे वैसे यह मोती हलके नीले रंग का तेजमय व अत्यंत प्रभावशाली होता जाता है | यह मोती अत्यंत ही भाग्यशाली पुरुष को भी अति दुर्लभता से प्राप्त होता है | शुभ तिथि में इसके धारण करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है |
3. वंशमुक्त मोती यह मोती बांस में उत्पन्न होता है, जिस बांस में यह मोती होता है उस बांस में स्वाति, पुष्य अथवा श्रवण नक्षत्र के एक दिन पहले से विशेष प्रकार की आवाज निकलने लगती है तथा उस नक्षत्र की समाप्ति तक वेदध्वनि की तरह आवाज आती रहती है | उस बांस को बीच से चीर कर मोती निकल लेते हैं | इसका रंग हल्का हरा तथा आकार में गोलाकार होता है | इस मोती के धारण करने से भाग्य का उदय तथा अपार धन सम्पति की प्राप्ति होती है तथा राज्यपक्ष व समाज में भी उच्चपद व प्रतिशठा प्राप्त होती है |
4. शंख मुक्तक मोती यह समुंदर में प्राप्त होने वाले पाञ्चजन्य नामक शंख की नाभि से प्राप्त होता है | इसका रंग हल्का नीला, सुडौल और सुन्दर होता है | इस पर यज्ञोपवीत की भांति तीन रेखाएं अंकित रहती हैं | इसमें कोई चमक नहीं होती | इसके धारण करने से स्वास्थय व लक्ष्मीवर्द्धक तथा सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला होता है | इसे बींधना नहीं चाहिए |
5. शूकर मुक्तक मोती यह मोती सूअर के मस्तिष्क में पाया जाता है | यह मोती पीत-वर्ण का गोल सुन्दर व चमकदार होता है | इसको धारण करने से स्मरण शक्ति व वाक् शक्ति की वृद्धि होती है तथा इस मोती को मात्र कन्या वाली स्त्री के गर्भ धारण करने पर निश्चय ही पुत्र लाभ होता है |
6. मीन मुक्तक यह मोती मछली के पेट से प्राप्त होता है | यह चने के आकार का पाण्डु रंग का चमकदार आभायुक्त होता है | इसको पहन कर पानी में डुबकी लगाने से पानी के अंदर की वस्तुएं साफ-साफ दिखाई देती है |
7. आकाश मुक्तक यह विधुत की भांति चमकदार एवम गोल होता है | यह पुष्य नक्षत्र की घनघोर वर्षा में कहीं एकाध मोती गिरता है | इस मोती को प्राप्त करने से मनुष्य भाग्यशाली, एवं तेजस्वी, यशस्वी बनता है तथा अपार गुप्त सम्पति को प्राप्त करता है | <
8. मेख मुक्तक रविवार के दिन पड़ने वाले पुष्य या श्रवण नक्षत्र की वर्षा में एक-दो मोती कहीं गिरते हैं | इस मोती कर रंग मेघवर्ण के सदृश्य श्याम वर्ण का चमकदार होता है तथा यह सभी प्रकार के प्रभाव को दूर करता है |
9. सीप मुक्तक ये मोती सीप से प्राप्त होते हैं | इन्हें ही छेदा जाता है | स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा की बूँद यदि सीप में पड़ती है तो यह मोती बनता है | ये आकार में विभिन्न प्रकार के जैसे कि लंबे, गोल, बेडौल, सुडौल, तीखे, चपटे आदि आकार में पाए जाते हैं | श्याम व बसरे की खाड़ी से प्राप्त मोती श्रेष्ठ होता है | बसरा की खाड़ी से प्राप्त होने वाला मोती हलके पीत वर्ण का मटमैला होता है | इसके धारण करने से धन प्राप्ति, स्वास्थयवर्द्धक तथा सुख कि प्राप्ति देने वाला होता है |

मोती के भौतिक गुण मोती खनिज न हो कर प्राचीन रत्न है | इसकी कठोरता 3½ -4, आपेक्षिक गुरुत्व 2.65 से 2.85 या 2.69 से 2.85 तक होता है |

मोती के प्राप्ति स्थान मोती फारस कि खाड़ी, श्रीलंका, वेनजुएला, मैक्सिको, आस्ट्रेलिया, बंगाल की खाड़ी तथा तूती कोरन (भारत) में विशेष रूप से पाए जाते है |
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फारस कि खाड़ी में उत्पन्न होने वाले मोती को "बसरा का मोती" भी कहते हैं | यह सबसे अधिक टिकाऊ, चमकदार, सुन्दर तथा मूल्यवान होता है | सभी प्रकार के पाए जाने वाले मोतियों में से यह मोट सर्वोत्तम होता है |
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श्रीलंका में उत्पन्न होने वाले मोती को"काहिल का मोती" भी कहते हैं | यह अधिक चमकदार परन्तु "बसरा का मोती" से कुछ हल्का तथा श्याम वर्ण की आभा लिए होता है |
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वेनेजुएला का मोती भी "बसरा का मोती" के समान होता है | यह मोती अधिक सफेद रंग के चमकदार अल्प गोलाकार होते हैं | यहाँ हरिताभ कृष्ण वर्ण के मोती भी पाए जाते हैं | ये मोती भी मूल्यवान होते हैं |
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मैक्सिको का मोती काले रंग का होता है | इसे "कागावासी" भी कहते हैं | यह मोती भी श्रेष्ठ मोतियों में से एक है |
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आस्ट्रेलिया का मोती चांदी कि तरह चमकदार व अधिक कठोर होता है | इसमें कोई खास सुंदरता नहीं होती | इस मोती कि यूरोप के देशों में अधिक मांग होती है |
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बंगाल कि खाड़ी में पाए जाने वाले मोती को "चूना खाड़ी का मोती" भी कहते हैं | यह गुलाबी रंग का गोल किनारे वाला होता है | यह शारीर के पसीने के संपर्क में आने पर सफेद रंग का हो जाता है | आसमानी रंग के मोती भी पाए जाते है |
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दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में प्राप्त होने वाले मोती को "तूती कोरन" मोती भी कहते हैं | यह रंग रूप व गुण में "बसरा के मोती" से समानता रखता है |
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दरभंगा से प्राप्त होने वाले मोती को "मसहि मोती" भी कहते हैं | इसे औषधि हेतु प्रयोग करते हैं | यह बंगाल कि खाड़ी से प्राप्त होने वाले मोती से मिलते-जुलते कुछ घटिया किस्म के होते हैं |
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गोमती नदी में प्राप्त होने वाले मोती को "उड़ती मुर्गी" कहते है | यह मोती हल्का, चमक रहित और अपरिपक्व होता है | यह निम्नकोटि का मोती होता है | इसे कपड़े पर रगड़ने से इस का वज़न कम हो जाता है |

श्रेष्ठ मोती के गुण सुतार च सुवृतं च, स्वच्छ च, निर्मलं तथा | घनं, स्निग्ध सुछायं तथा (अ) स्फुटितमेव च ||
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अर्थात श्रेष्ठ मोती तारे के समान प्रकाशमान पूर्ण रूपेण सुन्दर गोलाकार, स्वच्छ, अत्यंत पवित्र और मल रहित होता है तथा ढोस, स्निग्ध, छाया युक्त और स्फुटिक अर्थात चोट रहित होता है | इस पर किसी प्रकार की खरोंच नहीं होती | श्रेष्ठ मोती में जो छाया होती है वह तीन प्रकार कि होती है | शहद, मिश्री तथा चन्दन के टुकड़े के समान यथा-
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छायास्तु त्रिविधा स्मृता मधुसिता श्री खण्ड-खण्ड श्रीय-
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जिस मोती को देखते ही हृदय में प्रसन्नता प्रकट हो, रंग सफेद हो, हल्का हो, गुरुत्व अधिक न हो, चिकना हो, चन्द्रमा स्वच्छ किरणों की तरह निर्मल व उज्जवल हो, जल की भांति छाया उत्पन्न करने वाला हो तथा सुन्दर गोल हो |

मोती के दोष मोतियों में बहुत से दोष भी पाए जाते हैं | अतः मोती धारण करने से पूर्व इसे अच्छी तरह से परख लेना चाहिए कि कहीं मोती में कोई दोष न हो | कयोंकि दोषमुक्त मोती पहनने से सदा हानि होने कि सम्भावना बनी रहती है | अतः सदा निर्दोष मोती ही धारण करना चाहिए | मोती मोती में निम्नलिखित दोष पाए जाता है
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1. टूटा मोती टूटा हुआ मोती पहनने से मन में चंचलता व्याकुलता व कष्ट कि वृद्धि होती है | कयोंकि टूटा मोती सदा ही अशुद्ध होता है
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2. सुन्न मोती आभाहीन मोती को सुन्न मोती कहा जाता है | इस मोती को धारण करने से निर्धनता का वास होता है |
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3. गड्ढेदार मोती गड्ढेदार मोती स्वास्थय एवं धन सम्पदा को हानि पहुँचाने वाला होता है |
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4. चोंच मोती चोंच के आकार वाला अथवा चेचक जैसे दाग वाला मोती पुत्र कष्ट देने व वंश हानि करने वाला होता है | <
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5. चपटा मोती यह मोती सुख सौभाग्य नाशक व चिंता वर्द्धक होता है |
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6. मसा मोती छोटे से काले दाग वाले मोती को "मसा दोषी मोती" कहते हैं | इसके धारण करने से स्वास्थय कि हानि होती है |
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7. रेखादार मोती मोती के अंदर दिखाई देने वाले मोती को "रेखावाला मोती" कहते है | इस मोती को धारण करने से यश एवं ऐश्वर्य की हानि होती है |
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8. मेंडा मोती जिस मोती के चारों तरफ वलयाकार रेखा अंकित होती है, जिसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि दो टुकड़े आपस में जोड़े गए हैं | इस प्रकार का मोती धारण करना भयवर्धक तथा स्वास्थय व हृदय को हानि पहुँचाने वाला होता है |
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9. लहरदार मोती इस प्रकार के मोती में लहरदार रेखाएं दिखाई देती है | इस प्रकार के मोती को धारण करने से मन में उद्विग्नता व धन कि हानि होती है | <
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10. दुर्बल मोती यह मोती लंबा या बेडौल तथा दुर्बल होता है | इस प्रकार के मोती को धारण करने से बल व बुद्धि की हानि होती है |
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11. छाला मोती जिस मोती पर छाला के समान उभार हो, इस प्रकार का मोती धन-सम्पदा व सौभाग्य को नष्ट करने वाला होता है |
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12. मटिया मोती जिस मोती में भीतर (अंदर) मिट्टी हो वह मोती गुणहीन होता है |
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13. काक मोती काले रंग के युक्त गर्दन वाला मोती पहनने से अपयश, व पुत्र कष्ट होता है |
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14. दरार युक्त मोती जिस मोती के उपरी सतह फटी हुई हो, इस प्रकार के मोती को धारण करने से नाना प्रकार के कष्ट होते हैं |
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15. कृष्ण झांईदार मोती काले रंग से झांई से युक्त मोती को धारण करने से अपयश कि प्राप्ति होती है व अचानक ही अपमानित भी होना पड़ता है |
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16. त्रिकोनात्मक मोती तीन कोने वाले मोती को धारण करने से नपुंसकता की वृद्धि होती है,व बल, वीर्य, एवं बुद्धि का नाश होता है |
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17. ताम्रक मोती ताम्र वर्ण का मोती धारण करने से भाई, बहन व परिवार का नाश होता है |
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18. चतुष्कोणीय मोती चार कोणों से युक्त चपटा मोती धारण करने से पत्नी का नाश होता है |
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19. रक्तमुखी मोती मूँगे की भांति रक्त वर्ण का मोती धारण करने से धन का नाश होता है व चरों तरफ से विपदा आन पड़ती है |
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20. मगज मोती इस प्रकार के मोती के अंदर का भाग कठोर व ऊपर कि सतह झिल्ली के समान पतली होती है तथा इस पर काली आभा होती है | इसे आसानी से बींधा जा सकता है | इस प्रकार के मोती भी हानिकारक होते है |

असली व नकली मोती की पहचान
1. धान की भूसी को कपड़े में भर कर उस से मोती को रगड़ने से असली मोती में चमक आ जाती है |1.जबकि नकली मोती का चूरा हो जाता है |
2. स्वच्छ कांच के गिलास में पानी भर कर उसमें मोती को डालने पर असली मोती से किरणें निकलती दिखाई देती हैं |2. जबकि नकली मोती से कोई किरण निकलती दिखाई नहीं देती |
3. जमे हुए घी में असली मोती डालने से घी पिघल जाता है |3. जबकि नकली मोती से घी नहीं पिघलता |
4. गौमूत्र से भरे हुए मिट्टी के पात्र में पूरी रात असली मोती को रखने से भी असली मोती नहीं टूटता |4.जबकि नकली मोती रात भर में टूट जाता है |
5. चावल में असली मोती को रगड़ने से असली मोती में चमक आ जाती है |5. जबकि नकली मोती की चमक नष्ट हो जाती है |
6. असली मोती की उपरी परत कोमल होती है |6. जबकि नकली मोती की उपरी परत कठोर होती है |
7. असली मोती में यदि छिद्र किया जाये तो वो एकसमान होता है |7. जबकि नकली मोती में किया गया छिद्र मध्य में चौड़ा होता है |
8. असली मोती पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के प्रभाव से झाग उठने लगता है |8. जबकि नकली मोती पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता |
अँगूठी कैसे बनवाएं

चन्द्र रत्न मोती को धारण करने की विधि
चार रत्ती वज़न के मोती को 2, 4, 6 अथवा 11 रत्ती वज़न के चांदी से बनी अँगूठी में जड़वाना चाहिए | मोती को सोने की अँगूठी में जड़वाने से मोती पूर्ण रूपेण लाभकारी नहीं रहता | किसी अन्य धातु की अँगूठी में मोती को नहीं जड़वाना नहीं चाहिए | मोती को अँगूठी में इस प्रकार जड़वाना चाहिए कि मोती का निचला हिस्सा (तल) त्वचा को स्पर्श करता रहे (यानि कि अँगूठी को नीचे का हिस्सा खाली रहना चाहिए) तथा इस अँगूठी को बाएं हाथ के कनिष्ठका या तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए |
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(1) अँगूठी रविवार या गुरुवार के दिन प्रातः सूर्योदय से 10 बजे के मध्य तैयार करवानी चाहिए | अँगूठी तैयार हो जाने के पश्चात जिस सोमवार को पुष्य, रोहिणी, हस्त अथवा श्रवण नक्षत्र पड़ता हो उस दिन प्रातः 10 बजे निम्न विधि के अनुसार अँगूठी का पूजन व प्राण प्रतिष्ठा कर ध्यान करना चाहिए | मोती जड़ाई गयी अँगूठी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 4 तोला 7 रत्ती वज़न की चांदी का चंद्रासन बनवाएं | उस पर अँगूठी को रखें तथा पास एमिन पूर्व निर्मित चांदी का चन्द्र यंत्र भी रखें | फिर शोडषोपचार विधि से अँगूठी का विदिवत पूजन करें | तत्पश्चात चन्द्र यंत्र से उसे अभिषिक्त कर "ॐ सौं सोमाय नमः" नामक मन्त्र का उचारण करते हुए घृत, प्रिय्गुं, गुग्गुल तथा तिल कि 700 आहुति देकर हवन करना चाहिए |फिर चन्द्र मन्त्र
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"ॐ इमं देवा अस्पतनं सुब्ध्वं महते क्षेत्राय ज्येष्ठयाय महते जान राज्या येन्ये द्रन्द्रियाय इमममुष्यं पुत्रमसयैव्विशएव वोभिः राजा सोमोसमाकं ब्राह्माणां राजा"
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"श्री चन्द्राय नमः" का उच्चारण करते हुए अँगूठी के मोती में चन्द्रमा कि प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए | तब उस अँगूठी को अपने बाएं हाथ के कनिष्ठका अथवा तर्जनी अँगुली में धारण करना चाहिए | अँगूठी धारण करने के उपरान्त तत्क्षण ही चंद्रासन, चंद्र्यंत्र, बांस की डालिया, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, घृत, चीनी, दही, चावल, कपूर, शंख, एक छोटा सा मोती का दाना और सम्भव हो तो एक सफेद बैल कर्मकाण्ड करने वाले ब्राह्मण को दान देना चाहिए | इस प्रकार मोती पहनने से मनोकामना पूर्ण होती है तथा उदर रोग, मुख, त्वचा रोग, ज्वर, पायरिया, दन्त रोत, हृदय रोग, रक्तचाप आदि रोग शांत होते हैं तथा चन्द्रमा की शक्ति बढती है |
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(2) जो व्यक्ति उपरोक्त विधि द्वारा अँगूठी के पूजन में असमर्थ हों उन्हें चाहिए कि शुकल पक्ष के सोमवार के दिन अपनी पूजा उपासना करने के पश्चात् मंत्र "ॐ सों सोमाय नमः" का 11000 बार जप करने के पश्चात् शाम को चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात् अँगूठी को धारण करें, लाभकारी सिद्ध होगा | राशी के अनुसार मोती धारण करे

मोती के गहने अकसर महिलाएं बहुत शौक से उपयोग लाती है पर इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाये जो भी इस मोती के आभूषण को पहने तो पहले अपनी राशि के अनुसार देख कर निश्चित कर ले कि उन्हें यह मोती का आभूषण पहनना चाहिए या नहीं... हमारे जीवन में नौ रत्नों का बहुत महत्व है. इनको धारण करने से हम अपने भाग्य के रास्ते की बाधा को काफी हद तक दूर करने में सक्षम हो सकते है.हमारी जन्म राशि और लग्न, अपने अन्दर सभी तरह के गुण-दोषों को लिए हुये है, जैसे आयु से सम्बंधित, स्वास्थ्य से इसका गहरा संबंध है.धन का यह प्रतिनिधित्व करती है. यश प्राप्ति में सहायक व काम धंधे की परिचायक, हमारा आचार-व्यवहार तथा विचारों का आदान प्रदान, इन सभी व्यापक गुणों की दृष्टि में रखते हुये हमें राशि(लग्न) से सम्बंधित रत्न धारण करना चाहिए राशि से सम्बंधित रत्न को मुख्य रत्न कहते है. कुछ रत्न ऐसे है, जो हमारे कष्टों का निवारण करते है. और कुछ रत्न ऐसे है, जो हमे कष्ट पंहुचाते है. यह जान लेना अति आवश्यक है कि आप जिस रत्न को धारण करने जा रहे है, कंहीं वह आपके लिए कष्टकारी तो नहीं? हम आपको सभी बारह राशियों(लग्न) के रत्नों के बारे में जानकारी देंगे कि कौन व्यक्ति अपनी राशि व लग्न के अनुसार कौन कौन से रत्न धारण कर सकता है. बारह राशियों के अनुसार किस राशि के व्यक्ति को मोती धारण करना चाहिए, किसको नहीं आप निम्न डिटेल में देख सकते हैं |....
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मेष राशि :-- इस राशि के व्यक्ति यदि मोती धारण करते है तो उन्हें मानसिक शान्ति, विद्या सुख, गृह सुख और मातृ सुख का भरपूर लाभ मिलता है. यदि मोती को मंगल के रत्न मूंगा के साथ धारण किया जाये तो विशेष धन का लाभ होने लगता है.
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वृष राशि :-- इस राशि के व्यक्ति को मोती कभी भी धारण नहीं करना चाहिए. यह शुभ फलदायक नहीं है.
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मिथुन राशि :-- इस राशि के व्यक्ति को विशेष परिस्थितियों में मोती धारण करना लाभदायक हो सकता है. चन्द्रमा की दशा में मोती धारण करे तो उन्हें आर्थिक लाभ हो सकता है. मिथुन के लिए चन्द्रमा अशुभ भी है. इसे किसी ज्योतिषी से परामर्श करके धारण करें.
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कर्क राशि :- इस राशि के व्यक्ति के लिए मोती अति शुभ कारक रहेगा. मोती धारण करने से स्वास्थ्य तथा आर्थिक पहलू पर नियंत्रण रहेगा. इनके जीवन में विनम्रता बनाए रखने में सक्षम होगा. आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी होगा.
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सिंह राशि :-- इस राशि का व्यक्ति मोती धारण कर सकता है. आंखों के रोगों को दूर करेगा. रक्त सम्बंधित रोगों को दूर करेगा. धन में वृद्धि करेगा. पिता को मानसिक शान्ति प्रदान करेगा. नींद अच्छी आएगी. पुत्र को मृत्यु से बचायेगा.
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कन्या राशि :-- इस राशि व्यक्ति यदि मोती धारण करे तो आर्थिक लाभ, यश प्राप्ति, सन्तान का सुख प्राप्त होगा. तथा कल्याणकारी साबित होगा.
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तुला राशि :-- इस राशि के व्यक्ति के लिए मोती धारण करना शुभ्ताथा लाभकारी भी है. मोती धारण करने से राज्य कृपा, अचानक धन प्राप्त, यश, पद-प्रतिष्ठा तथा समाज का गौरव प्राप्त होगा.
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वृश्चिक राशि :-- इस राशि वालो के लिए मोती धारण करना अति लाभकारी है. इसके प्रभाव से चमत्कारिक रूप से भाग्य में उन्नति, धार्मिक भावना प्रबल होगी. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वह सुख का अनुभव करेगा.
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धनु राशि :-- मोती धारण करना इस राशि वालो के लिए अति अशुभ होगा. इसका कारण मोती चन्द्रमा के बल को बढ़ाएगा जी इस राशि वालो के लिए हानि कारक सिद्ध होगा.
--------------------------------------------------------------------------------------------------- मकर राशि :-- इस राशि वालो के लिए अपने जीवन काल में मोती कभी भी धारण नहीं करना चाहिए. स्वास्थ्य हानि तथा पति- पत्नी में वैमनस्यता बढ़ेगी.
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कुम्भ राशि :-- इस राशि के लोगों को मोती धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि यह धन, यश, संपत्ति को नष्ट करेगा. अचानक शत्रु बढ़ेगे.
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मीन राशि :-- इस राशि के व्यक्ति को मोती अवश्य धारण करना चाहिए वह उसे सदैव यश प्रदान करेगा. बुद्धि लाभ, भाग्य उदय, विद्या की प्राप्ति, पुत्र के सुख की प्राप्ति व अन्य चमत्कारी लाभ देगा...............




मोती पर उपरोक्त दी गयी जानकारी अलग-अलग जगहों से इकठी की गयी है | यह लेख मेरे द्वारा पाठकों को जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है न कि अपने आप को इस रत्न के बारे में सिद्ध लेखक या रत्नाचार्य सिद्ध करने के लिए | यदपि पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया गया है | फिर भी मोती को आपने राशि के अनुसार धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषचार्य की से विचार-विमर्श अवश्य कर लें |

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