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समय के गर्भ में बहुत सी विधाएं छुपी हुई हैं और हैं और भारत के इतिहास में इनकी बहुतायत पाई जाती है। हमारे भारतीय ऋषि-मुनियों ने अपने अद्भुत ज्ञान के बल पर बहुत सी विधाओं पर बड़े विस्तार से इन सूत्रों को एक लयबद्ध माला के रूप में पिरो कर ग्रन्थों के रूप में सदा के लिए आने वाली भावी पीढ़ियों के लिए स्थापित करके अपनी उस अथाह सोच को जन कल्याण के लिए परिभाषित भी किया है, जो जनकल्याण के लिए सदा तत्पर रहती है।

इन्ही विधाओं में से एक विधा है शरीर लक्षण

यानि आप के आपके शरीर पर मौजूद निशान, आपके हाव-भाव, भाव-भंगिमा, चाल-ढाल, चेहरे पर बालों को रखने या दिखाने का ढंग, तिल, मस्सा, ललाट पर लकीरें इत्यादि के विषय में बड़ी संजीदगी से लिखा गया है। आज इन्ही में से एक तिल चिन्ह पर आज की पोस्ट में बताने का प्रयास किया जा रहा है।

किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर पाए जाने वाले तिल पर विचार करके उसके बारे में बताया जा सकता है। चेहरे पर अलग-अलग स्थानों पर 100 के करीब तिलों के बारे में हमारे प्राचीन ग्रन्थों में बताया गया है।

सबसे पहले हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि तिल के कितने रूप होते हैं तिल दो प्रकार के कहे गए हैं।

एक शहद के समान लाल रंग वाले तिल
दूसरा वह काले काले रंग वाले तिल

आमतौर पर इंसान के चेहरे पर बाजू पर पीठ पर टांगों पर पेट पर शरीर के अन्य कई हिस्सों में पाए जाते हैं।

शहद के समान लाल रंग वाले तिल पर व्यक्ति को शुभ अवसर देने वाले माने गए हैं व काले रंग काले रंग के तिल किसी भी व्यक्ति को अशुभ असर देने वाले माने गए हैं। यह तिल चिन्ह किसी भी व्यक्ति के शरीर पर विभिन्न ग्रहों के प्रभाव के कारण ही प्रकट होते हैं। रंग के अतिरिक्त भी तिल के दो प्रकार मुख्य तौर पर हमारे भारतीय ऋषियों-मुनियों द्वारा बताए गए हैं ।

एक उत्तर वाले तिल और दूसरे बिना उत्तर वाले तिल उत्तर वाले तिल

अब इन दोनों प्रकार के तिलों को समझने का प्रयास करते हैं उत्तर प्रकार वाले तेल मुख के यानी कि इंसान के चेहरे पर जिस स्थान पर होते हैं ठीक वैसा ही तिल व्यक्ति के शरीर के किसी अन्य अंग विशेष पर भी होता है या मौजूद पाया जाता है। बिना उत्तर वाले तिल शरीर के किसी भी भाग में हो सकते हैं और उनका कोई उत्तर वाला तिल शरीर के किसी अन्य भाग पर नहीं होता

तिलों के फल के संबंध में प्राचीन विद्वानों ने अलग अलग हो चुकी चुकी हो चुकी चुकी हैं यहां पर उन दोनों मतों को बताने का समझाने का प्रयास किया जा रहा है|

भारतीय मत के अनुसार मनुष्य के ललाट पर यानि चेहरे पर शनि की गुरु की मंगल की सूर्य की शुक्र की बुध तथा चंद्र की रेखाएं कही गई हैं इनमें से प्रत्येक रेखा पर पांच-पांच तिल माने गए हैं जिन का शुभ फल उनकी स्थिति के अनुसार अलग अलग हो सकता है या होता है जिन लोगों के चेहरे पर यानि ललाट में 7 रेखाएं रेखाएं स्पष्ट ना हो तो उनके ललाट पर स्थित तिलों पर विचार करते समय आप चित्र के अनुसार इन 7 रेखाओं की कल्पना करके इस चित्र में बताएं अनुसार ही किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर मौजूद तिल वाले स्थान को निश्चित करके उसके प्रभाव के संबंध में जानकारी प्राप्त करके ही फलादेश कर सकते हैं|

ललाट की रेखाओं के अतिरिक्त व्यक्ति के चेहरे पर दाएं और बाएं कपोल पर नेत्र पर नासिका पर कान पर मुख आदि स्थानों पर दिखाई कुछ दिल दिखाई देते हैं तो इस प्रकार चेहरे पर दिखाई देने वाले कुल तिलों की संख्या लगभग तकरीबन 100 मानी मानी गई है यहां पर आपको यह बता देना जरूरी समझा जा रहा है कि यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर इस चित्र में दिखाए गये तिलों के अनुसार सभी तिल ही मौजूद हों, बहुत से व्यक्ति के चेहरे पर एक भी तिल नहीं पाया जाता और कुछ लोगों के चेहरे पर दो या तीन या चार या पांच की संख्या में तिल पाए जाते हैं|

चेहरे के तिलों का भाव यह नहीं है कि व्यक्ति के चेहरे पर हर जगह तिल पाया जाएगा इन 100 तिलों को चेहरे पर कहाँ कहाँ पर पाया जा सकता है वैसे ही चित्र में आपको दिखाने का प्रयास किया जा रहा है चेहरे पर पाए जाने वाले 100 तिलों के निशान आपको इस चित्र में दिखाए गए हैं

अगली पोस्ट में आपको चेहरे पर पाए जाने वाले तिलों के अलग अलग प्रभाव के बारे में बताने का प्रयास किया जायेगा

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