तेरी यादों की
परछाई हर पल
मुझे ये अहसास
दिलाती है
कि तुम कहीं
यहीं-कहीं
आस-पास हो |
फिर जब यादों
के समंदर से
बाहर आते हैं
तो तुम्हें अपने ...
साहमने न पाकर
ऐसा लगता है कि,
शायद ये मेरे
मन मस्तिष्क की कल्पना
ही थी लेकिन !
तुम्हारी यादें तो फिर
भी तड़पाती हैं !
शायद यूं ही तड़पाती रहेंगी
तुम्हारी यादें...
मुझे उम्र भर |
या कभी सकूं मिल
पायेगा मुझे कभी,
शायद लगता है कि नहीं !
मुझे मालूम है कि
अब तुमसे कभी
मुलाकात
नहीं हो पायेगी !
क्योंकि तुम तो
बहुत दूर जा चुकी हो
इतनी दूर कि !
जहाँ से कोई वापिस नहीं आता |
लेकिन तुम्हारी यादों
का क्या करूं ?
जो हर पल
तेरे होने का
अहसास दिलाती हैं |
और ........
शायद उम्र भर ये
अहसास दिलाती रहेंगी |
क्योंकि ये अहसास ही तो
हमारी जिंदगी थे !
और लगता है कि
ये अहसास नहीं
मिट पायेगा कभी,
जब तक इस तन में जान है !!!!!!!
ये अहसास तेरा
5
बुधवार, नवंबर 23, 2011
Tags
लाजबाब
जवाब देंहटाएंकविता सुन्दर है किन्तु कृपया इसकी प्रूफ रीडिंग अवश्य कर लीजियेगा...
जवाब देंहटाएंभावमयी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बधाई...
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है
You truly outdid yourself today. Great work
जवाब देंहटाएं