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विजिटिंग कार्ड : एक छोटी से कहानी

एक छोटी से कहानी

विजिटिंग कार्ड
    एक बार मैं किसी कारणवश सिटी
पोलिस स्टेशन गया | मुझे इंस्पेक्टर
साहिब से कुछ काम था | लेकिन गेट
पर ही मुझे संतरी  ने  रोक लिया, व
पूछा,  "क्या  काम   है ?" मैंने कहा,
"इंस्पेक्टर साहिब से मिलना है |" तो
वह बोला, "साहिब दौरे पर गए हुए हैं |"
मैं  चुपचाप   वापिस   चला   आया |

   अगले दिन मैं फिर पोलिस स्टेशन
गया | इस बार मैंने संतरी  से  बिना  कुछ
पूछे ही ही संतरी को अपना विजिटिंग कार्ड
दिया | विजिटिंग कार्ड देखते ही उसने मुझे
सलाम किया व खुद साथ चलकर इंस्पेक्टर
के पास छोड़ गया | मैं इंस्पेक्टर साहिब से
बाते कर ही रहा था  कि  बीच  में वह चाय
रखकर  चला  गया | मैंने  अपनी समस्या
इंस्पेक्टर  साहिब  को  बता कर विदा  ली |
पोलिस स्टेशन के गेट से बाहर आते ही उस
संतरी   ने   मुझे  फिर से  सलाम  किया |

   बाहर आकर मैं सोचने लगा कि
मुझसे  अच्छा  तो  मेरा  विजिटिंग  कार्ड
ही  है | क्योंकि उस पर मेरे नाम के आगे
"अध्यक्ष युवा संगठन" लिखा हुआ था |

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4 टिप्पणियाँ

  1. संसार व्यक्ति को कम ही महत्व देता है, उसके रुतवे और सामाजिक स्थिति को देता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई, बहुत अच्छा लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  3. यही विजिटिंग कार्ड काम में आता है आजकल!!

    जवाब देंहटाएं

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