फरमान न: 6
1. ग्रहों के विस्तारपूर्वक दिए गए बयानों में देखने से विदित होगा कि ब्रह्माण्ड की भिन्न-भिन्न वस्तुओं को विशेष-विशेष भागों में निश्चित करके हर एक भाग का नाम हमेशां के लिए एक ही निश्चित कर दिया गया है और उन तमाम चीजों को लिखने
पढ़ने में बार-बार दोहराने की या उनके लिए निश्चित किया हुआ एक नाम का जिक्र कर देते हैं उदाहरणता स्त्री गाय लक्ष्मी आदर्श के लिए केवल एक
शब्द शुक्र निश्चित है तो जहां कहीं भी शुक्र का जिक्र होगा तो स्त्री गाय लक्ष्मी, मिटटी आदि से अभिप्राय होगा |
2. राशियों की तरह ग्रहों के लिए कोई पक्का अंक निश्चित नहीं है मगर उनकी भिन्न लिखित विशेष प्रकार अवश्य निश्चित है
नर ग्रह भी कहलाते हैं
शनि राहु और केतु तीनों,
पापी ग्रह बन जाते हैं
शुक्र लक्ष्मी चन्द्र माता,
दोनों स्त्री होते हैं
बुध मुखन्नस चक्र सभी का,
जिससे सभी में घूमते हैं
नेकी बदी दो मंगल भाई,
शहद ज़हर दो मिलते हैं
बदलालच गर मारे दुनिया,
नेक दान को गिनते हैं
राहु और केतु सिर्फ दोनों को,
पाप के नाम से याद करते हैं
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