को दूर कर के पानी की चाल को दुरुस्त करने की बामौका कोशिश की जा सकती है मगर पानी की मिकदार या किस्मत के मैदान में कोई कमी-बेशी नहीं की जा सकती | हाँ इतना जरूर है यह मजमून बाज़ औकात अपनी बरकत से किसी प्राणी पर हमला करने बाले ज़ालिम शेर के साहमने के ऐसी गैबी दीवार खड़ी कर देगा जिससे कि वो शेर उसका कुछ ना बिगाड़ सके |फिर भी शेर और ऊँची छलांग से हमला करे तो ये मज़मून गैबी दीवार को और भी ऊँची करता जाता है मगर हमला करने वाले शेर पर न गोली चलाएगा और न ही उसकी टांग पकड़ेगा मगर रूहानी मदद से वो शेर थक हार कर खुद ब खुद ही चला जाये या हमले का इरादा ही छोड़ देगा |जिससे दोनों अलहदा-अलहदा हो जाने पर वो प्राणी सुख का सांस लेने लगेगा |
२. मज़मून की बुनियाद पर "लाल किताब" की जिल्द सुर्ख खूनी लाल रंग की जो चमकीला न हो मुबारिक होगी | इस रंग के इलावा बाकि सब रंग मनहूस असर के होंगे |
3. इस किताब में सामुद्रिक विद्या की क ख (वर्णमाला) मुकम्मल तौर पर देने की कोशिश की गई है मगर चूँकि एक फरमान दूसरे से बिलकुल जुदा ही होता चला गया है इसलिए तमाम की तमाम किताब शुरू से आखिर तक कई दफा बार-बार बतौर नवल बेशक बगैर समझे ही पढते जाना स्वयं ही मज़मून का भेद बना देगा |
4. किसी बात को आजमाने से पहले उसे अपनी जाती फैसला से गलत समझ कर वहां खड़ा कर लेना मज़मून की वाकिफियत के लिए मददगार ना होगा |
5. किताब के बगैर फर्जी मन मानी या मनघडंत बात वहां पैदा कर देगी और वहां का इलाज शायद ही कहीं मिलता होगा |
6. कुंडली का बनाना और उसकी दुरुस्ती को जांचना तमाम सम्बंधित विद्या के परिचय के बाद शुरू करें और दरम्यानी वक्त में मौजूदा ज्योतिष की बनाई हुई कुंडली से ही तजुर्बा हासिल करें मगर ख्याल रहे कि अपने ही हाथ का खाना या अपनी ही जन्म कुंडली, मजमून सीखने के रास्ते में सबसे बड़ी रूकावट होगी |
asli lal kitab hindi mein : pratham page-2
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शनिवार, अगस्त 20, 2011
असली "लाल किताब के फरमान 1952" हिंदी में प्रथम पेज़-2
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