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सिटी जलालाबाद का यहाँ पर आबाद होने का कारण

सिटी जलालाबाद का यहाँ पर आबाद होने का कारण
सन 1863 में नवाब जमालउलदीन कि मृत्यु के पश्चात् जब उन का छोटा भाई जलालाउलदीन ममदोट रियासत का नवाब (गद्दी नशीन) बना तो नवाब जलालउलदीन ने काफी सोच विचार के बाद अपनी रियासत के कामकाज को उम्दा तरीके से चलाने के लिए व् रियासत की आमदनी बढ़ाने के लिए आजकल के जलालाबाद शहर के उस समय कि बंजर व् गैर-आबाद ज़मीन (रकबे) को अपनी रियासत की राजधानी बनाने का फैसला किया कयोंकि यह स्थान मम्दोत रियासत से लाधूका गांव के बीच में (सेंटर प्लेस) होने के कारण उपयुक्त माना व् अपनी इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए इस योजना पर काम शुरू कर दिया |
उस समय इस जगह पर काफी घना जंगल हुआ करता था | अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए नवाब जलालउलदीन ने लाहोर से एक इंग्लिश इंजिनीअर को इस शहर का मैप बनाने के लिए बुलाया| इस शहर का मैप बन जानने के पश्चात बिक्र्मी संवत 1930 को यहाँ पर जलालाबाद शहर के उसारी का नींव पत्थर रखा व् अपने नाम पर ही इस शहर का नाम जलाल-आबाद रखा था | यही शहर जलालाबाद शहर के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
सब से पहिले 1873 में नवाब जलालउलदीन ने इस शहर की ऊसारी करने से पहिले आजकल के कन्ला वाले झुगे गांव जो की डी.ऐ.वी. कालेज के नज़दीक है, इस जगह पर राज मिस्त्री व् मजदूरों के लिए व् अपने करमचारिओं के रहने के लिए यहाँ पर कचे मकान बनवाए थे व् इसी छोटी सी बस्ती का नाम जलालआबाद रखा था |
इस शहर के तैयार मैप के अनुसार शहर में चार बाज़ार बनाये गए, इन चार बाज़ार के मुहानो पर चार बड़े गेट लगाये गए | इन बाज़ार का नाम बघा बाज़ार, थाना बाज़ार, रेलवे बाज़ार, बाह्म्नी बाज़ार रखा गया जो कि आज भी इन्ही नामों से जाने जाते हैं |
इस के बाद नवाब जलालउलदीन ने इस शहर में रेलवे बाज़ार के साथ ही एक दाना मंडी का निर्माण करवाया | इस दाना मंडी को भी दो बड़े-बड़े गेट लगवाए गए | इन में से एक आज भी अपनी पुराणी अवस्था में मोजूद है | इस दाना मंडी में आज के समय नगर काउंसिल द्वारा एक वाटर वर्क्स चलाया जा रहा है, व् इस वाटर वर्क्स के इर्द-गिर्द लोगों द्वारा अपने रहने के लिए मकान बना लिए गए हैं |
जलालाबाद की पुराणी दाना मंडी का वह गेट जो कि बजाज धर्मशाला (आजकल जनता नैशनल कालेज) के साहमने रेलवे बाज़ार में आज भी अपनी पुरानी अवस्था में मौजूद है | 
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