कुछ मेरे शहर जलालाबाद के बारे में
यह शहर भारत पाकिस्तान की सीमा से 10 किलोमीटर की दूरी पर् ओर मुक्तसर से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर् पश्चिम दिशा की तरफ फिरोजपुर से फाजिल्का की तरफ जाने वाली सड़क पर् बसा हुआ है | इस शहर का क्षेत्रफल 7.56 सुकेअर किलोमीटर है | इस की आबादी सन् 2001 अनुसार 32964 है | इस शहर की बुनिआद ममदोट रियासत के नवाब ज़लालाउलदीन् ने सन् 1874 में रखी थी | इस समय यह शहर सब तहसील जलालाबाद में तब्दील हो चुका है |
महाराजा रणजीत सिंह ने नवाब निजाम उल दीन व् उसके छोटे भाई नवाब कुतुबदीन् को कुसूर से बेदखल करके उन को जिंदगी गुजारने के लिए सतलुज दरिया के पूर्व की और ममदोट रियासत की जागीर दोनों भाईओं को सौंप दी | ममदोट का यह सारा क्षेत्र पुराने समय में राय कोट के सरदार राय का हुआ करता था | उन को यहाँ से निकाल दिया गया था | सन् 1808 में नवाब निजाम उल दीन का अचानक स्वर्गवास हो गया | उस समय नवाब निजाम उल दीन के बेटे के नाबालिग होने के कारण ममदोट रियासत का मालिक नवाब निजाम उल दीन के छोटे भाई क़ुतुब दीन को नवाब बनाया गया |
नवाब क़ुतुब दीन के दो लड़के थे | इन में से एक लड़के का नाम ज़मालउलदीन् और छोटे लड़के का नाम ज़लालउलदीन् था | नवाब कुतुबदीन् की मृत्यु के बाद उस के बड़े बेटे ज़मालउलदीन् को ममदोट की रियासत का नवाब बनाया गया|
सन् 1809 में अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह व इंग्लिश गवर्नमेंट के बीच हुई संधि के अनुसार सतलुज दरिया का पश्चिम क्षेत्र महाराजा रणजीत सिंह के अधिकार क्षेत्र में व् सतलुज दरिया के पूर्व का क्षेत्र इंग्लिश गवर्नमेंट में शामिल हो गया | इस में उस समय की ममदोट रियासत का क्षेत्र भी शामिल था | यह रियासत इंग्लिश अधिकार क्षेत्र में चली गई | इंग्लिश गवर्नमेंट ने 1864 में आपने पत्र अनुसार इस रियासत की सारी भूमि बिना किसी शर्तके ममदोट के नवाब के नाम पर् कर दी | जिस का सबूत पत्र नंबर 191 अलफ तिथि 11/11/1904 में सरकारी रिकार्ड में लिखित है | इस पत्र का पूरा पता पूर्व समय के पटवारी श्री तुलसी राम द्वारा कलमबद्ध किया गया था | इस को कानुगो श्री राम रतन द्वारा प्रमाणित किया गया था |
नवाब ज़मालउलदीन् के घर कोई बेटा नहीं था | नवाब ज़मालउलदीन् की मौत के पश्चात उसका छोटा भाई ज़लालउलदीन् ममदोट रियासत का नवाब बना| नवाब ज़लालउलदीन् का भी सन् 1891 में स्वर्ग वास हो गया| नवाब ज़लालउलदीन् की दो संतान एक लड़का कुतुबदीन् व् एक लड़की बेबो बीबी हुए| नवाब ज़लालउलदीन् की मृत्यु के पश्चात उन का पुत्रकुतुबदीन् ममदोट रियासत का नवाब बना| नवाब कुतुबदीन के घर भी कोई औलाद नहीं थी | नवाब कुतुबदीन की मृत्यु सन् 1928 में जलालाबाद में हुई | नवाब कुतुबदीन की मृत्यु के पश्चात ममदोट रियासत जिस में जलालाबाद भी शामिल था को हथियाने के लिए इस रियासत के वारिसों में आपसी खींचतान शुरू हो गयी|
नवाब शाह नवाज़ खान का सन् 1941 में स्वर्गवास हो गया| नवाब शाह नवाज़ खान की मृत्यु के पश्चात जलालाबाद में नवाब शाह नवाज़ खान के पुत्र इफत्खार हुसैन को नवाब की पदवी से नवाज़ा गया| सन् 1947 में भारत व् पाकिस्तान की हुई बाँट के बाद नवाब इफ्तखार हुसैन ममदोट रियासत की राजधानी जलालाबाद को छोड़ कर लाहौर जो कि आजकल पाकिस्तान में है चला गया|
नोट : यहाँ यह बताना मुनासिब होगा कि ममदोट रियासत में कुतुबदीन नाम के दो नवाब हुए थे | इन में से जो पहिला नवाब बना वो निजाम उल दीन कुसूर का छोटा भाई था| दूसरा कुतुबदीन नवाब ज़लालाउलदीन् का पुत्र था| नवाब ज़लालाउलदीन् ने जलालाबाद शहर कि नीवं रखी थी| यही कुतुबदीन जलालाबाद में वास करते हुए ही ममदोट रियासत का नवाब बना| इस नवाब कि मृत्यु सन् 1928 में हुई थी|
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