क्या नेगेटिव टिप्पणी आपको आक्रोशित करती है ?
जैसा कि इस पोस्ट के टाईटल से जाहिर है, किसी भी बेनाम या किसी भी जानकर द्वारा की गयी मर्यादित नकारात्मक टिप्पणी आपको उद्ग्वेलित करती है यानि की आक्रोशित करती है ? या यूँ समझ ले कि इतना आक्रोशित करती है कि आपके दिलो-दिमाग को सीज कर दे यानि कि आपसे सोचने समझने की शक्ति छीन ले | इससे भी कुछ हटकर इतना हताश हो जाएँ की दुनिया ही आपको बेमानी लगने लग जाये व ऐसा लगे कि ये दुनिया बेमानी हो जाये | आपको ऐसा लगे को सब-कुछ ख़त्म हो जाये | इसी विषय पर मन में कुछ प्रश्न उभरते हैं :-
1. क्या नकारत्मक टिप्पणी आपको इतना परेशान करती है कि ये आपके दिमाग को सीज का दे यानि ये आपसे आपकी सोचने समझने की शक्ति ही छीन लें ?
2. क्या नकारत्मक टिप्पणी आपके ब्लॉग पर किसी को करनी ही नहीं चाहिए ?
३. क्या नकारत्मक टिप्पणी करने का अधिकार ही किसी को नहीं होना चाहिए ?
४. क्या नकारत्मक टिप्पणी का साह्मना आप करना ही नहीं चाहते या आप ये नहीं चाहते कि कोई भी नकारत्मक टिप्पणी आपके ब्लॉग पर कोई भी व्यक्ति न करे ?
५. क्या नकारत्मक टिप्पणी आपको इतना उद्ग्वेलित करती है कि आपको ये लगे कि मेरी तो दुनिया ही ख़तम हो गयी ?
६. क्या नकारत्मक टिप्पणी आपको इतना सोचने पर मजबूर कर सकती है कि आपको ये लगे कि ब्लॉग जगत में नकारात्मक टिप्पणी का कोई स्थान नहीं है ?
७. क्या नकारत्मक टिप्पणी आपको इतना परेशान कर जाती है की आपको ये लगे कि ये आपके विचारों को शब्दों का रूप देने में बाधक बन जाये ?
जैसा कि आपने ऊपर देखा कि मैंने सिर्फ सात प्रश्न ही उठाएं हैं | प्रश्न तो मन में और भी हैं | लेकिन इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढना चाहता हूँ | यदि आपको भी इन प्रश्नों की उत्तर मिले तो आप सुझाने की कृपा जरूर करें |
मेरी सोच के मुताबक नकारत्मक टिप्पणी नये सिरे से कुछ अच्छा सोचने को विविश करती है, कुछ नया पेश करने का जज्बा पैदा करती हैं |
आज आपको के ऐसी ही घटना से अवगत कराना चाहता हूँ | मैंने अपनी जिंदगी में सबसे पहले कंप्यूटर के साक्षात दर्शन सन 2000 में किये थे यानि कि कहने का मतलब ये है कि ब्रांड नया कम्प्यूटर मैंने सन 2000 में खरीदा था, वो भी सिर्फ शौकिया, बावजूद इसके कि मुझे कंप्यूटर की कोई जानकारी न थी | जानकारी से अभिप्राय: से आप समझ सकते हैं कि मुझे कम्प्यूटर properly shutdown करना भी नहीं आता था | लेकिन मन में ख़ुशी थी कि मैंने नया कंप्यूटर ले लिया है | तब भी मैं जलालाबाद में रहता था आज भी जलालाबाद में रहता हूँ | तब मेरे बड़े भाई साहिब फाजिल्का में रहते हैं आज मोहाली में | मन की कोई भी ख़ुशी मैं उनके साथ शेयर करता था | मैंने उन्हें फोन पर बताया की मैंने कंप्यूटर ले लिया तो उन्होंने मुझसे कहा की चलाना जानते हो, "मैंने कहा नहीं", तो जवाब में उनकी डांट झेलनी पड़ी थी | तब मन ही मन संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये अब तो कंप्यूटर सीखना ही पड़ेगा | इसके साथ ही एक और घटना का जिक्र भी करना चाहूँगा की मैं सुन रखा था की सी.डी. से गानों को कापी करके कंप्यूटर में रखा जा सकता है | गानों की सी.डी. तो पास थी लेकिन उसे कापी कैसे किया जाये ये पता नहीं था | इसलिये किसी जानकार से (नाम नहीं लूँगा) इस बाबत जानकारी पानी चाही तो उन्होंने मना कर दिया जब की वो शक्श जानता था क्यूंकि वो खुद एक कंप्यूटर जानकार था | इसके बाद तो खुद पर जनून सवार हो गया कि अब तो चाहे कुछ भी हो जाये कंप्यूटर की जानकारी तो जुटानी है वो बिना किसी कोचिंग सेंटर में जाये | तो उसी जनून का नतीजा है किस बिना किसी कोचिंग सेंटर में जाये काफी कुछ जान लिया, व आज व्ही शख्स मुझसे जानकारी मांगते हैं जो उनको चाहिए होती है, जिन्होंने ने मुझे कापी कमांड बताने से मना किया था |
मेरे द्वारा ऐसी घटना की उजागर करने का मतलब यही है कि यदि कोई नकारत्मक टिप्पणी करता है तो उसे positive लेते हुए उस व्यक्ति द्वारा की गयी टिप्पणी को गलत साबित करके दिखाएँ, न कि उपरोक्त बताई सात श्रेणियों में से एक के शिकार हो जाएँ |
हालाँकि टिप्स हिंदी में पर इस तरह का कोई भी लेख नहीं लिखा जाता, लेकिन फिर भी इस तरह के लेख को लिखने की कोशिश की है कि यदि आप को किसी की नकारत्मक टिप्पणी परेशान करती है तो आप अपने मन से उस टिप्पणी के प्रभाव को दरकिनार करते हुए अपने लेखन कार्य को निरंतर नदी की बहती धारा की तरह लिखते रहना चाहिए | मुझे भी डेढ़ साल के समय में बहुत सी नकारत्मक टिप्पणियों का साह्मना करना पड़ा है | लेकिन मैंने तो एक नियम बना रखा है कि कोई कुछ भी कहे मुझे निरंतर लिखना है | चाहे कोई टिप्पणी करे या न करे | मेरे लिखे से किसी एक को भी फायदा होता है तो मैं अपने आपको को खुशनसीब समझूंगा | यदि आप नकारत्मक टिप्पणियों को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित नहीं होने देना चाहते तो माडरेशन का विकल्प आन कर लें | बहुत से ब्लॉगर साथियों ने ऐसा कर रखा है |
लेकिन इस के साथ में ये भी कहना चाहूँगा इससे अभिवयक्ति का हनन होता है | अभिवयक्ति का अधिकार सभी को है, लेकिन अभिवयक्ति मर्यादित भाषा में होनी चाहिए न की अभद्र भाषा में | बाकि आप पर निर्भर करता है कि आप टिप्पणी कैसी चाहते है हमेशा positive तो पॉजिटिव विचारों को अपने ब्लॉग पर पब्लिश होने दें, नेगिटिव को स्पैम में डाल दें | अपने दिलों दिमाग पर हावी न होने दें |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवरुण जी आपकी ये टिप्पणी नकारात्मक न हो कर आक्रोश यानि के गुस्सा जाहिर करना भर से है | कारण आपकी टिप्पणी से स्पष्ट है कि आपके ब्लॉग को सजाने संवारने में किसी भी तकनीक ब्लॉग ने मदद नहीं की | यदि ये मदद आपको मिल जाती तो शायद आप ये टिप्पणी कभी नहीं करते |
हटाएंबुरा मत मानना मैं एक तल्ख़ बात कहने जा रहा हूँ आप अपने ब्लॉग को खुद सजाने संवारने में में यकीन नहीं रखना चाहते या ये समझ ले आप इसके लिए कोई पहल न करके आप सिर्फ ये चाहते हैं की आपको एक बढ़िया सा टेम्पलेट से युक्त सजा सजाया ब्लॉग बना बनाया मिल जाये व आप उसे चला सकें |
क्या आप जानते हैं कि एक तकनीक पर संबंधित पोस्ट बनाने में "एक साधारण रूप से चाहे वो सशक्त ग़ज़ल हो या कविता या आलेख" इनसे ज्यादा वक्त लगता है | किसी भी टेक्नीक पर लेख लिखने के लिए ऐसे शब्दों के चयन से, जो आमजन की समझ में आसानी से आ जाएँ, से लेकर तस्वीरों के माध्यम से समझाने का यतन करने के लिए अलग से पर्यास करते हुए उन चित्रों को अपलोड व स्क्रिप्ट को कहीं न कहीं अपलोड करने के पश्चात वो पोस्ट आपके लिए प्रस्तुत की जाती है | इस पोस्ट को आपके साह्मने प्रस्तुत करने से पहले इसे ब्लॉग पर टेस्ट भी किया जाता है कि जो प्रस्तुत किया जा रहा है वो सब के लिए सुलभ होना चाहिए | बावजूद इसके एक ग़ज़ल या एक कविता या एक आलेख के लिए इस प्रकार की किसी भी वयवस्था के लिए कोई जरूरत महसूस नहीं होती | किसी टुटोरिअल पर पोस्ट लिखना एक आम पोस्ट लिखने से बहुत हटकर काम होता है |
अब बात करते हैं आपके उस रोषपूर्ण प्रश्न के बारे में | जब कभी भी आपने किसी भी टेक्नीक ब्लॉग पर प्रश्न पूछा व उसका उत्तर नही मिला तो बताएं | मेरे समेत टेक्नीक पर लेख लिखने वाले सभी लोगो ने बहुत से ब्लॉगर की प्रश्नों का उत्तर देने का भरसक प्रयास किया है व आगे भी करते रहेंगे | अब बात करते हैं की आपके ब्लॉग को पूर्णतया सेट करने के बारे में तो ये उनकी अपनी मजबूरियां भी है किसी के ब्लॉग को पूर्णतया सेट करने के लिए समय का आभाव ही आड़े आता है | इस ब्लॉग दुनिया में लाखों की तादाद ब्लॉग मौजूद हैं तो ये चंद टेक्नीक के लेखक अपने ब्लॉग को छोड़ कर सब के ब्लॉग को सजाने संवारने में वक्त कैसे निकालें | जबकि उनको अपने ब्लॉग के लिए भी तो वक्त निकालना है | हम जैसे लोग कहते हैं कि आप एक कदम तो बढ़ाओ जहाँ कहीं आप को जरूरत होगी हम आपको सहायता देंगे | जब आपसे आपका ब्लॉग फीड बर्नर पर आपके द्वारा सबमिट नहीं हो रहा था तो क्या आपकी मदद नहीं की गयी थी | ऐसे और भी बहुत से मौके है जहाँ पर आपके प्रश्नों का उत्तर दिया गया था | इस ब्लॉग पर बहुत से ब्लॉगर साथिओं ने बहुत सी फेस की गयी प्राब्लम के बारे में जानकारी मांगी थी व सभी को वो जानकारी उपलब्ध करवाने के पूरी कोशिश की गयी वो भी बिना किसी भेदभाव के व बिना किसी लालच के व आगे भी कोशिश जारी रहेगी | जहाँ तक पूरे का पूरा टेम्पलेट सेट करने की बात है ये उस टेक्नीक ब्लॉगर की मजबूरी है या उसकी मर्जी कि ये काम करना चाहे या न करना चाहे | आप इसे अन्यथा मत लें | यदि कोई टेक्नीक पर लेख लिखने वाला ब्लोगर आपके ब्लॉग को पूर्णतया आपके मन मुताबिक सेट नहीं करता तो वो दोषी हो गया | इसका मतलब तो ये हो गया कि यदि आपको ब्लॉगर प्लेटफार्म पूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाता तो आप उस से भी ये बात कहेंगे नहीं जी पहले पूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाओ तभी हम ब्लॉग बनायेगे नहीं तो हम तो ब्लॉग नहीं बनायेंगे | आपमें एक और कमी है आप टेक्नीक ब्लॉग पर अब तक प्रकाशित सभी पोस्ट को नहीं पढ़ते | यदि पढ़ते होते तो आपके पहुत से प्रश्नों के उत्तर उनमें मिल जाते | आपके भावों से लगता है कि आप जानकारी ढूँढने से ज्यादा प्रश्न करके उत्तर पाने में विश्वास रखते हैं | उत्तर कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया | माफ़ करना भाई |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपने टिप्पणी मॉडरेशन के संबंध में कहा है - ' इस के साथ में ये भी कहना चाहूँगा इससे अभिवयक्ति का हनन होता है | '
जवाब देंहटाएंतो यह उचित नहीं है. बहुधा संदर्भ रहित ऊलजुलूल और स्पैम टिप्पणियों के लिए मॉडरेशन बेहद जरूरी है. और रहा सवाला अभिव्यक्ति का, तो वो व्यक्ति अपने स्वयं के ब्लॉग पन्नों में कुछ भी पोंकने के लिए वो स्वतंत्र है. और, अपनी वो टिप्पणी भी! (जो मॉडरेशन की मार खा जाती है!!!)
रविशंकर जी आपका ब्लॉग पर स्वागत है | किसी भी उल-जलूल टिप्पणी को एक बार स्पैम घोषित कर दो, व उसके बाद देखो, वो उल-जलूल टिप्पणी जिसने भी की थी वो दोबारा से आपके ब्लॉग पर उल-जलूल तो क्या कोई भी टिप्पणी आपकी मर्जी के बिना कर ही नहीं पायेगा चाहे आपने माडरेशन का विकल्प आफ कर रखा हो | मेरा कहने का अभिप्राय ये है कि यदि आपने एक बार जिस स्पैम घोषित कर दिया, तो उस द्वारा की गयी हर टिप्पणी स्वत: स्पैम में जाएगी | प्रयोग करके देखें | यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको माडरेशन का विकल्प अपनाने की जरूरत ही नहीं रहेगी |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंविनीत जी आज आपने बहुत ही खास बिषय पर लेख लिखा जो चर्चा का बिषय है भी।आपकी घटना से सम्बन्धित मुझे भी कुछ कटु अनुभव देखने को मिले थे।2003 में UAE में जॉब कंप्यूटर से ही शुरू हुआ,जब अपने सीनियरो से कुछ सहयोग की बात करता था तो सहयोग के बजाय उपदेश देना ही अच्छा समझते थे।अपनी लगन के बल पर आज मै उनका सीनियर हूँ,उन्हें ही हमारी सहयोग की जरूरत पडती है। चुकि मैं ब्लॉग में जगत में अभी नवोदित ही हूँ ,फिर भी कहूँगा की यदि कम अनुभव वाला को यदि कुछ सिखने की उत्सुकता है तो समय निकल कर जरुर सहयोग करना चाहिए।वैसे तो आप लोग अपनी पोस्ट के माध्यम से दूसरों की सहयोग ही तो कर रहे हैं। टिप्पड़ी सकारात्मक हो चाहे नकरात्मक ब्लोगर के लिए अनमोल है।नकरात्मक टिप्पड़ी से अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है हाँ अभद्रता का हर समय ख्याल रखना चाहिए,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनकारात्म टिप्पणी करना सही है और यदि कोई हमारे ब्लाग पर करता है तो उसे नाराज या परेशान या गुस्सा होना गलत है क्यो की कई बार तो अपने नियमित पाठक जो यह समझते है कि यह बात कहने पर ब्लागर नाराज होगा पर हमे तो सही बात को रखना है अत यह दोनो की सही है नकारात्मक टिपपणी करा भी और उसे गलत नही मानना भी
जवाब देंहटाएंआप का कहना की 'मेरी सोच के मुताबक नकारत्मक टिप्पणी नये सिरे से कुछ अच्छा सोचने को विविश करती है, कुछ नया पेश करने का जज्बा पैदा करती हैं |' शत-प्रतिशत सत्य है...
जवाब देंहटाएं