कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?
मैं हर पल, हर वक्त
अपनी पहचान ढूँढता हूँ,
कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?
सारा दिन सारी रात, चारों पहर,
अपना नाम ढूँढता हूँ,
कोई तो बता दे मेरा नाम क्या है ?
चाँद से पूछा, सूरज से पूछा,
धरती से पूछा, आसमान से पूछा,
कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?
गुल से पूछा, गुलशन से पूछा,
कलियों से पूछा, बहार से पूछा,
कोई तो बता दे मेरी बात क्या है ?
शब से पूछा, सहर से पूछा,
उनसे पूछा, आपसे पूछा,
कोई तो बता दे मेरी जात क्या है ?
मैं तो समझता हूँ, खुद को,
एक आम इंसान इस जहाँ में,
वरना इस जहाँ में इंसान की बिसात क्या है ?
कोई यदि जानता हो, मेरे बारे में,
तो बता दे मुझ को,
ताकि मैं भी कह सकूं "मेरी पहचान क्या है?"
जब तक इंसान खुद को इंसान समझे और जाने तब तक सब सामान्य और सही रहता है क्योंकि वही उसकी पहचान होती है.अच्छी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआप तकनीकी लेखों के अतिरिक्त कविता भी लिखते हैं ,जानकार अच्छा लगा.
बहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना,,,
जवाब देंहटाएंतकनीकी लेखों के अतिरिक्त कविता लेखन भी अच्छा लगा बधाई,,,
recent post : प्यार न भूले,,,
एक अच्छा इंसान ..हर एक की मदद को तैयार रहता है !!!
जवाब देंहटाएंआप की पहचान ..एक अच्छा इंसान !
बहुत ही बढ़िया... लगी आपकी रचना....
जवाब देंहटाएंआप एक अच्छे इंसान है...
My recent post जरूर पढ़े
बहुत ही भावपूर्ण रचना है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
विनीत जी एक अच्छा इंसान ही दूसरो के बारे मे सोच सकता है, तो अगर कविता की बात है अतिसुन्दर ! पर यदि पहचान की बात है तो आपकी अच्छाई ही आपकी पहचान होती है........
जवाब देंहटाएंभारत मे लिबर्टी रिजर्व / liberty reserve in india
Tach with Poetry ? Very Nice.
जवाब देंहटाएंमैं तो समझता हूँ, खुद को,
जवाब देंहटाएंएक आम इंसान इस जहाँ में,
वरना इस जहाँ में इंसान की बिसात क्या है ?
...आज के समय यही पहचान काफी है...बहुत सुंदर