रुक्न (गण) किसे कहते हैं ?

प्रश्न : रुक्न (गण) किसे कहते हैं ?
उत्तर : रुक्न को हिंदी में "गण" भी कहा जाता है | फाईलुन, मुफाईलुन एवं फाईलातुन इत्यादि आठ तरह की शव्द टुकड़ियां रुक्न (या गण) कहलाती हैं | रुक्‍न स्‍वयं में दीर्घ एवं लघु मात्रिक का एक निर्धारित क्रम होता है, और ग़ज़ल के संदर्भ में यह सबसे छोटी इकाई होती है जिसका पालन अनिवार्य होता है। एक बार माहिर हो जाने पर यद्यपि रुक्‍न से आगे जुज़ स्‍तर तक का ज्ञान सहायक होता है लेकिन ग़ज़ल कहने के प्रारंभिक ज्ञान के लिये रुक्‍न तक की जानकारी पर्याप्‍त रहती है। फ़ारसी व्‍याकरण अनुसार रुक्‍न का बहुवचन अरकान है। सरलता के लिये रुक्‍नों (अरकान) को नाम दिये गये हैं। ये नाम इस तरह दिये गये हैं कि उन्‍हें उच्‍चारित करने से एक निर्धारित मात्रिक-क्रम ध्‍वनित होता है। अगर आपने किसी बहर में आने वाले रुक्‍न के नाम निर्धारित मात्रिक-क्रम में गुनगुना लिये तो समझ लें कि उस बहर में ग़ज़ल कहने का आधार काम आसान हो गया।

हिंदी साहित्य में गण दो प्रकार के होते हैं :-
1. वर्णिक गण      2. मात्रिक गण

1. वर्णिक गण वर्णिक गण आठ होते हैं | इसे समझने के लिए नीचे एक चार्ट दिया जा रहा है :-

नाम स्वरूप    उदाहरण   सांकेतिक
1 यगण ।ऽऽ वियोगी, कहो जी
1 2 2 122,   122
लघु गुरु गुरु लघु गुरु गुरु
2 मगण ऽऽऽ मायावी, बैनामा
2 2 2 222,   222
गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु
3 तगण ऽऽ। वाचाल, बेनाम
2 2 1 221,   221
गुरु गुरु लघु गुरु गुरु लघु, गुरु गुरु लघु
4 रगण ऽ।ऽ बालिका, आदमी
2 1 2 212,   212
गुरु लघु गुरु गुरु लघु गुरु, गुरु लघु गुरु
5 जगण ।ऽ। संयोग,  अनेक
121 121,   121
लघु गुरु लघु लघु गुरु लघु, लघु गुरु लघु
6 भगण ऽ।। शावक, नानक, मानक
211 211,  211
गुरु लघु लघु गुरु लघु लघु, गुरु लघु लघु
7 नगण ।।। कमल, सनम, बहर
111 111,  111
लघु लघु लघु लघु लघु लघु, लघु लघु लघु
8 सगण ।।ऽ सरयू, पढ़ना, बहना
112 112,  112
लघु लघु गुरु लघु लघु गुरु, लघु लघु गुरु

2. मात्रिक गण मात्रिक गण पांच होते हैं | इसमें सिर्फ मात्राओं का ध्यान रखा जाता है

1. टगण इसके 13 रूप होते हैं
2. ठगण इसके 8 रूप होते हैं |
3. डगण इसके 4 रूप होते हैं |
4. ढगण इसके 3 रूप होते हैं |
5. णगण इसके 2 रूप होते हैं |

टगण SSS ||SS |S|S S||S ||||S |SS| S|S|
|||S| SS|| ||S|| |S||| S|||| ||||||
ठगण |SS S|S |||S SS| ||S| |S|| S||| |||||
डगण SS ||S |S| S|| |||||
ढगण |S S| |||
णगण S ||

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10 टिप्पणियाँ
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  1. बहुत सुंदर जानकारी,...अच्छी प्रस्तुती,
    क्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....

    मेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे

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  2. फखरुद्दीन कैफ़ीबुध मार्च 29, 11:48:00 pm 2017

    बहुत ही सुंदर रोचक और उपयोगी धन्यवाद

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  3. सर बहुत - बहुत आभार आपका |
    क्या जानकारी दी है आपने मेरे लिए ये बहुत लाजमी है धन्यवाद सर|🙏

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  4. बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद

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  5. जंगल जंगल भटक के, हाल हुआ बेहाल।१३,११
    दिखे हजारों बाँटते, अल्प-ज्ञानमय लाल।।१३,११
    अल्प-ज्ञानमय लाल, पथिक में जगती आशा।११,१३
    जब देखे दो बूँद, ज्ञान की बढ़े पिपासा।।११,१३
    गिरा बोल हे राम! करो अब तुम ही मंगल।
    धारा रूप 'विनीत', स्वयं प्रभु पहुँचे जंगल।।
    स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित-
    ऋतुदेव सिंह 'ऋतुराज'

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