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lal kitab 1952 page 55

जब खाना नंबर 12 खाली हो, और बृहस्पत खाना नंबर 9 बैठा हो तो खाली खाना नंबर 12 का मालिक ग्रह राहू लेंगे | लेकिन जब बृहस्पत खाना नंबर 9 में न हो तो खाली खाना नंबर 12 के लिए बृहस्पत, राहू मुस्तरका (दोनों का मसनूई(बनावटी) ग्रह बुध खाली आकाश) लेंगे |

(3) केतु खाना नंबर में और राहू खाना नंबर 12 में, दोनों ही नीच भी हैं और घर के मालिक भी | उनकी शक्की हालत के लिए जब राहू को बुध की मदद और केतु को बृहस्पत की मदद मिले यानि राहू खाना नंबर 3-6 में (बुध के घर में ) और केतु हो खाना नंबर 9-12 में (जो बृहस्पत का घर है ) तो दोनों ऊंच हालत वर्ना नीच हालत के होंगे यानि राहू खाना नंबर 9-12, केतु खाना नंबर 3-6 में नीच होगा | खुलासतन (संक्षेप में ) : 1. जैसा बुध टेवे में हो, वैसा ही राहू नंबर 12 का असर होगा |

2. जैसा बृहस्पत टेवे में हो, वैसा ही केतु नंबर 6 का असर होगा

ग्रह बुर्ज व राशियों की गलत फहमी :- राशी से मुराद मकान की वह ज़मीन और उसके मालिक ग्रह से मुराद उस पर बने हुए मकान की इमारत होगी |

कियाफा :- बुर्जो को पक्के तौर पर जगह वे जगह मुकर्रर कर दिया गया है | इसी तरह से ही राशियों के लिए हमेशा के वास्ते जगह मुकर्रर कर दी गयी है ग्रहों के लिए रहने की जगह को बुर्ज या ग्रह का घर कहेंगे, और राशि के लिए मुकर्रर की हुई उंगुली की पोरी को राशि का घर कहेंगे | हर बुर्ज या ग्रह का निशान मुकर्रर है | इस तरह से हर राशि का निशान मुकर्रर है | ग्रह के निशान से ग्रह का जिस्म ताकत या असर लेंगे | मगर उसके लिए जो जगह हथेली पर हमेशा के लिए मुकर्रर है वह मुकाम उस का घर होगा ख्वाह ग्रह खुद किसी दुसरे ग्रह के घर जा बैठा हो | इसी तरह से ही राशियों का हाल है | यानि राशि की जो जगह ऊँगली की पोरी पर मुकर्रर है वह राशी का घर है लाल किताब पन्ना नंबर 55



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